बीजेपी ने छीन ली सवर्णों की राजनीति, अब क्या करेंगे राजा भैया…
क्या आप जानते हैं की बीजेपी ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर कोई नेक काम किया है. तो आप बिलकुल गलत समझ रहे हैं. इसमें कुछ और प्लान हो सकता है. आखिर चुनाव के ही समय बीजेपी ने ऐसा क्यों किया ? देखा जाये तो छोटे छोटे तो बहुत से कारण हैं मगर दो बड़े कारण भी है. जिसका बीजेपी को डर था. पहला- सवर्णों का वोट बीजेपी से न छिन जाए ?. और दूसरा सबसे बड़ा कारण हैं-
“राजा भैया” के नाम से प्रसिद्ध दबंग निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह.

सभी पार्टियों के पसीने छूट गए
राजनीति में राजा भैया की धाक और मज़बूत इरादे देख कर बीजेपी क्या सभी पार्टियों के पसीने छूट गए हैं. 30 नवम्बर को राजा भैया ने लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में अपनी महारैली की थी. रैली को ‘राजा भैया रजत जयंती अभिनंदन समारोह’ का नाम दिया था. राजा भैया के समर्थन में मैदान में लाखों की भीड़ देखकर सभी राजनीतिक पार्टियों के होश उड़ गए थे.
राजा भैया का मुद्दा
दरअसल बात ये है की राजा भैया अपनी नई पार्टी बना कर पूरी तरह से राजनीति में कूद चुके हैं. राजा भैया ये भी साफ कर चुके थे कि वो सवर्णों के हक की लड़ाई लड़ेंगे. प्रमोशन में आरक्षण के लिए विरोध करेंगे. उन्होंने कहा था की जीतने के बाद हम सवर्णों को भी आरक्षण दिलाएंगे. ये तो सभी को मालूम है की सियासत में सवर्ण हमेशा लावारिस रहे हैं. बीजेपी सवर्णों को अपना कहती है. लेकिन मायावती दलित समर्थक हैं. इसी बात को राजाभैया बहुत अच्छे से समझ गए थे. इसलिए उन्होंने सवर्णों को अपना बनाने की ठान ली थी.
बीजेपी की चाल
राजा भैया समझते थे कि उनकी यही समझ उनको दिल्ली तक ले जाएगी. मंत्री बनवाएगी. लेकिन बीजेपी को इसी बात का डर था. बीजेपी किसी तरह राजा भैया की इस आंधी को रोकना चाहती थी. ताकि उसके सवर्ण वोट कहीं न जाएँ और वोट बीजेपी को ही दें. इसी को देखते हुए बीजेपी ने सही समय पर अपना सवर्ण पत्ता खोल दिया. और सवर्णों को लुभाने के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण दे डाला.
अब क्या करेंगे राजा भैया ?
अब देखा जाए तो राजा भैया के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है जिससे वो जनता से वोट मांग सके. सवर्णों के अलावा राजा भैया के पास कोई वोट बैंक नहीं है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि दलित वोट राजा भैया को चाहिए नहीं. मुस्लिम वोटों से उनके पिताजी का छत्तीस का आंकड़ा चलता रहता है. मतलब मुस्लिमों का वोट भी राजा भैया को मुश्किल से ही मिलेगा. बतादें, यूपी में लगभग 300 छोटे दल राजनीति में हाथ आजमाते हैं. और ख़ास बात ये है की शिवपाल भी अपनी नई और मजबूत पार्टी बना चुके हैं. ऐसे में राजा भैया के सामने चुनाव जीतने की चुनौती खड़ी हो गई है. और यही बीजेपी चाहती थी.
कौन हैं राजा भैया
राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को पश्चिम बंगाल में हुआ. राजा भैया सन 1993 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला के विधान सभा क्षेत्र कुंडा से निर्दलीय विधायक बने हुए हैं. राजा भैया जब पहली बार विधायक बने तब वे सिर्फ 26 वर्ष के थे. राजा भैया अपने सियासी रसूख के कारण बाबागंज सीट पर अपने करीबी विधायक विनोद सरोज को चुनाव जिताते रहे हैं.