अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) जीतते जीतते क्यों हार गए ? : संपादकीय व्यंग्य

बीजेपी प्रचंड (Yogi Adityanath wins 2022 UP elections ) बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में वापसी हुई है..सबसे बड़ी बात ये है कि जब से यूपी में कांग्रेस का राज खत्म हुआ है..तकरीबन 40 साल से यूपी में किसी भी पार्टी की सरकार दोबारा रिपीट नहीं हुई है..लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने ये कारनामा करके दिखाया है..उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास बना दिया है..और दूसरा सबसे बड़ा इतिहास ये बना है कि यूपी में अब तक टोटका माना जाता रहा है कि जिस मुख्यमंत्री ने नोएडा की धरती पर कदम रखा है..उसकी कुर्सी चली गई है..
लेकिन योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath wins 2022 UP elections ) ने इस मिथक को भी तोड़ा है..नोएडा जाने के बाद भी दोबारा यूपी के मुख्यमंत्री बनने की दहलीज पर हैं..इस चुनाव में दो दो रिकॉर्ड टूटे हैं…सबके मन में सवाल ये है कि अखिलेश यादव कहां चूके..कहां चूक हुई कि बने बनाए माहौल में भी चुनाव हार हए..मैं बताती हूं चूक कहां पर हुई..एक एक करके सारे कारण मैं आपको बताऊंगी..हालांकि अखिलेश यादव बहादुरी के साथ लड़े बीजेपी से लड़ना आसान नहीं है..
लेकिन अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) जिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं..उस पार्टी ने 4 बार यूपी को मुख्यमंत्री दिया है..इस लिहाज से अखिलेश यादव को बेचारा नहीं कहा जा सकता है..अखिलेश यादव खुद भी पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं..छोटी छोटी जातियों के साथ गठबंधन भी किया..सपा को उम्मीद थी कि पश्चिम में किसानों की बीजेपी से नाराजगी का फायदा सपा को मिलेगा..फायदा मिला भी लेकिन वो फायदा उतना ज्यादा नहीं रहा कि सरकार बनाने लायक सीटें मिल सकें..क्योंकि पश्चिमी यूपी में बीजेपी सपा से काफी आगे खड़ी नजर आई..
मध्य यूपी से सपा को ज्यादा उम्मीद नहीं थी..मध्य में सपा को गलत सीट बंटवारे का खामियाजा भुगतना पड़ा.. बुंदेलखंड में भी सपा ( Akhilesh Yadav ) को बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ..अब आईये पूर्वांचल में पूर्वांचल और बुंदेलखंड का अध्यन जो मैंने किया है..जो मैं ग्राउंड पर देख रही थी..उसमें सपा की हार का पहला कारण है..पोलराइजेशन..यूपी के जिन जिन गांवों में हिंदू और मुसलमान की आबादी एक साथ रहती है..या जिन मोहल्लों में मुस्लिम और हिंदू साथ रहते हैं..
वहां हिंदू आबादी ने एक तरफा..वोट किया है और मुस्लिम ने दूसरी तरफ वोट किया है..बसपा को मिली एक सीट और कांग्रेस को मिलीं 2 सीटें बताती है कि मुस्लिम बहुत ज्यादा बंटा नहीं है..लेकिन दूसरी तरफ बीजेपी के बहुमत वाले आंकड़े पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि राशन से खुश दलित वोटर और गैर यादव पिछड़ों ने बीजेपी (Yogi Adityanath wins 2022 UP elections ) पर भरोसा दिखाया है..बीजेपी को सबसे बड़ा फायदा बीएसपी के डटकर ना लड़ने से मिला..बसपा के इनएक्टिव होने की वजह से बसपा का लाभार्थी वोट बीजेपी के साथ गया..जो बीजेपी की जीत का सबसे बड़ा कारण बना..
समाजवादी पार्टी ( Akhilesh Yadav ) ने अपने संसाधनों का इस्तेमाल ठीक से नही किया..पार्टी के स्टार प्रचारक सिर्फ कागज में ही लिखे रह गए..या फिर स्टार प्रचार सिर्फ चुनाव आयोग को सूची भेजने के लिए बनाए गए थे ये किसी को समझ में नहीं आया..शिवपाल यादव..डिंपल यादव..जया बच्चन..सपा के खुद के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तर पटेल चुनाव में एक्का दुक्का जगह के अलावा कहीं दिखाई नहीं दिए..बीजेपी से सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्या..धर्म सिंह सैनी..और दारा सिंह चौहान में से सिर्फ दारा सिंह चौहान ही जीत पाए..यानी इन मंत्रियों के आने से सपा को नुकसान ही हुआ..
बीएसपी ने जिस तरह से सपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारे थे..उसने सपा को बहुत डेंट पहुंचाया है..अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) को अगर इस चक्रव्यूह को तोड़ना था तो चंद्रशेखर रावण को पावर देनी चाहिए थी..हर जगह से बीजेपी की तरफ जा रहे दलित वोट रोकने के लिए आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशियों को उतारना चाहिए था..जिसे समाजवादी पार्टी ने पूरी तरह से इग्नोर किया..यहां तक कि चंद्रशेखर रावण ने अखिलेश को बड़ा भाई तक कह दिया था..लेकिन बात नहीं बन पाई…हालांकि हार के बाद आप कुछ भी कह लीजिए..
अगर सपा ( Akhilesh Yadav ) जीत जाती तो ये कारण बेकार हो जाते लेकिन हार के कारण जमीन पर जो दिखाई दिए..जो महसूस हुए वो बताने जरूरी हैं..इसलिए मैंने आपको बताए..आप इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं…एक और बात मैं बहुत पहले से कहती आई हूं..बेरोजगारों जैसा कोई वोटबैंक नहीं होता है..हर बेरोजगार पहले मिश्रा है पांडे है पटेल है..वर्मा है..कुमार है..यादव है..सिंह है..उसके बाद वो बेरोजगार है..बेरोजगारों का वोट जातियों का बंधन तोड़ नहीं पाता इसलिए बेरोजगार नाम का कोई वोट बैंक नहीं होता..
बीजेपी (Yogi Adityanath wins 2022 UP elections ) की प्रचंड जीत में बीएसपी का निर्दिलों से भी बेकार प्रदर्शन बहुत ज्यादा मायने रखता है..जो वोट बैंक कल तक बसपा का हुआ करता था..उसका बड़ा हिस्सा आज बीजेपी का है…और इसीलिए बीजेपी ने यूपी में इतिहास बनाते हुए..सत्ता में दोबारा वापसी की है..एक और बड़ी बात जो छूट रही है..समाज में इस बात की सबसे ज्यादा चर्चा थी कि अगर अखिलेश की सरकार आई तो यादव उत्पात मचाएंगे..और मुस्लिमों का शासन हो जाएगा..ये भी गैर यादव पिछड़ों का सपा के साथ ना आने का बहुत बड़ा कारण रहा है..