मुस्लिम महिलाओं को मिला न्याय, तीन तलाक बिल को मिली मंजूरी, मोदी सरकार ने रचा इतिहास
तीन तलाक विधेयक लोकसभा में बीती 25 जुलाई को पारित हुआ था. और मंगलवार को राज्यसभा में भी करीब चार घंटे चली बहस के बाद पास हो गया है. बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े. बहुमत के हिसाब से इसे पास कर दिया गया है. अब ये बिल कानून का रूप लेगा.

अब राष्ट्रपति की सहमति के बाद तीन तलाक का विधयेक कानून बन जाएगा. बतादें सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 2017 में तीन तलाक को निरस्त कर दिया था. दो जजों ने इसे असंवैधानिक कहा था और एक जज ने पाप बताया था. मगर इसके बाद दो जजों ने संसद को आदेश दिया कि इस पर कोई कानून बनायें. फिर केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया और तीन तलाक विधेयक लोकसभा में दो बार पारित हुआ लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. मगर मंगलवार को केंद्र सरकार राज्यसभा में भी पास कराने में कामयाब हो गई.
अब मौखिक, लिखित या किसी भी अन्य माध्यम से तीन तलाक देना कानूनन अपराध होगा. बिल पास होने से पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से 24 जुलाई तक 345 मामले आ चुके हैं. उन्होंने सदन से पूछा कि क्या इन महिलाओं को सरकार ऐसे ही सड़क पर छोड़ दें. 20 से अधिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है इसलिए इस कानून को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
तीन तलाक को कई मुस्लिम देशों ने बैन कर रखा है. जिसमें अल्जीरिया, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मोरक्को, सूडान, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भी शामिल हैं.
अब भारत में भी इस कुप्रथा के खत्म होने के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं का मोदी सरकार पर भरोसा और उम्मीद दोनों बढ़ गई है. भरोसा इसलिए क्योंकि भाजपा के संघर्ष से उन्हें सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा से आजादी मिल गई, और उम्मीद इसलिए बढ़ गई है क्योंकि अब ये महिलाएं इस इंतजार में हैं कि तीन तलाक के बाद अब निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी कुप्रथा कब खत्म हो.
वैसे इस ऐतिहासिक बिल को अंजाम तक पहुंचाने में मोदी सरकार के साथ साथ कई महिलाओं का संघर्ष भी शामिल रहा है. इनमें सबसे अहम रोल रहा है उत्तराखंड की सायरा बानो का जो इस मामले को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट लेकर गई थीं. उनके अलावा आफरीन रहमान, गुलशन परवीन, इशरत जहां और अतिया साबरी भी उन महिलाओं में है जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद की. इन लोगों में से किसी को फोन पर, किसी को स्पीड पोस्ट से, किसी को स्टांप पेपर पर तो किसी को कागज के एक टुकड़े पर तलाक मिला था.
बिल के प्रावधान-
- तीन तलाक के मामले को सिविल मामलों की श्रेणी से निकाल कर आपराधिक क्षेणी में डालते हैं.
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना.
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान
- पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है.
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है.
- ये संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी.
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है.
- जमानत तभी दी जाएगी, जब पीडि़त महिला का पक्ष सुन लिया जाएगा
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है.
- मजिस्ट्रेट को सुलह कराकर शादी बरकार रखने का अधिकार रहेगा.
- पीडि़त महिला पति से गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है. रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा.
- पीडि़त महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. ये मजिस्ट्रेट ही तय करेगा.
- अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य तरीक़े से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी उद्घोषणा शून्य और अवैध होगी.
- पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है.
- ये कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा.
- ये कानून सिर्फ तलाक ए बिद्दत यानी तीन तलाक देने वालों पर ही लागू होगा.
तीन तलाक विधेयक पारित हो जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई है और इसे मुस्लिम महिलाओं के हित में एक ऐतिहासिक कदम बताया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया. मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है.
तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया। मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2019
पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है. आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है. सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है. इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं.
पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2019
एक पुरातन और मध्यकालीन प्रथा आखिरकार इतिहास के कूड़ेदान तक ही सीमित हो गई है. संसद ने तीन तालक को खत्म कर दिया और मुस्लिम महिलाओं के साथ किया गया एक ऐतिहासिक गलत कार्य को दुरुस्त किया है. ये लैंगिक न्याय की जीत है और इससे समाज में समानता आएगी. आज भारत खुशियां मना रहा है.