‘वेलेंटाइन डे’ पर भगत सिंह की याद में ‘वायरल मैसेज’ का सच, क्या आज भी भ्रम में जी रहे हैं लोग ?
‘वेलेंटाइन डे’ प्रेमियों का दिन मगर हर साल वेलेंटाइन डे पर सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल होता है, जिसमें कहा जाता है कि 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे भगत सिंह की याद में मनाया जाना चाहिए. आखिर ये किसने शुरू किया, या कुछ लोग आज भी भगत सिंह को लेकर कंफ्यूज़ हैं. क्या है इसके पीछे सच आइये जानते हैं.

जैसे ही वेलेंटाइन डे आता है तब कहा जाता है कि 14 फरवरी 1931 को महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर के एक जेल में फांसी दी गई थी. और कई मैसेज में कहा जाता है की इस दिन भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी. मगर हम आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले ऐसे मैसेज बिलकुल गलत हैं. इस तरह की गलत जानकारी देना अपराध है. सभी लोग ऐसे मैसेजों से बचें. अब जानिए आखिर सच क्या है.
वायरल फेक मैसेज में बताया जाता है की 14 फरवरी को भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी. मगर इतिहास के अनुसार 7 अक्टूबर 1930 को ब्रिटिश कोर्ट ने अपने 300 पन्नों का जजमेंट सुनाया था. जिसमें भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को सांडर्स मर्डर और एसेंबली बम कांड में दोषी करार दिया गया था और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी.
और दूसरे मैसेज में कहा जाता है की 14 फरवरी 1931 को महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर के एक जेल में फांसी दी गई थी. लेकिन सही बात और इतिहास के अनुसार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को फांसी दी गई थी. और 23 मार्च को पूरा देश शहीदी दिवस के रूप में भी मनाता है. और सबसे बड़ी बात ये है की तीन महान क्रांतिकारियों को फांसी देने की तारीख 24 मार्च 1931 तय की गई थी, लेकिन अचानक ही उनकी फांसी का समय बदल कर 11 घंटे पहले कर दिया गया और 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में शाम 7:30 बजे उन्हें फांसी दे दी गई थी.
आजादी के इतिहास ने 14 फरवरी का कोई ज़िक्र ही नहीं है. और आज के कुछ नासमझ लोगों में देश के क्रांतिकारी वीरों के बलिदान को महज एक मज़ाक बना कर रख दिया है. भारत के इतिहास से छेड़छाड़ करना बहुत बड़ा अपराध है. आज सुबह से सभी के फ़ोन में ये फेक मैसेज वायरल हो रहा है. इसको बिलकुल भी सही न समझे.