अटल बिहारी वाजपेई का जीवन परिचय..Biography Atal Bihar Vajpayee..

आज एक बार फिर मैं कहानी एक लेकर आई हूं..औऱ आज की कहानी में नंबर है..जिनका कहना था..हार नहीं मानूंगां रार नहीं ठानूंगा..जो कहते थे मैं कुवांरा तो हूं लेकिन ब्रहम्चारी नहीं हूं..जो कहते थे मैं मृत्यु से नहीं डरता डरता हूं बस बदनामी से..ये शब्द हैं..हमारे पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी बाजपेई के..तो आज बात..अटल बिहारी वाजपेई (Biography Atal Bihar Vajpayee) के बारे में होगी..तो चलिए शुरु करते हैं..
अटल जी (Biography Atal Bihar Vajpayee) का वो सदन का वो भाषण काफी फेमस है..औऱ होता रहता कि जब अटल जी सदन में थे..औऱ उनकी सरकार सिर्फ एक वोट से गिर गई थी..उस वक्त अटल जी ने कहा था..”मेरी बात को गांठ बांध लें, आज हमारे कम सदस्य होने पर आप (कांग्रेस) हंस रहे हैं लेकिन वो दिन आएगा जब पूरे भारत में हमारी सरकार होगी, उस दिन देश आप पर हंसेगा और आपका मजाक उड़ायेगा..और अटल जी की ये बात सच भी हो गई की लोग कांग्रेस पर हंसने भी लगे..
दोस्तों अटल बिहारी बाजपेई (Biography Atal Bihar Vajpayee) साम्यवाद यानी की हम सब बराबर हैं..बराबर हैं कि बातें किया करते थे..फिर अटल बिहारी बाजपेई आरएसएस के साथ जुड़ गए औऱ गांधी जी के साथ मिलकर भारत छोड़ों आंदोलन में हिस्सा लिया..औऱ इस आंदोलन में रहते हुए अटल जी करीब 23 दिन तक जेल में भी रहे..औऱ अटल जी के वो 23 दिन उनकी जिंदगी के ऐसे रहे और यहीं से शुरुआत हुई उनके राजनीति में आने का..
अटल जी की राजनीति को लेकर अपनी एक अलग ही फिलासफी थी..वो किसी कि गलती का समर्थन नहीं करते थे..उनका कहना था कि आप गलती करोगे तो मैं उसका विरोध करुंगा..उनका कहना था कि अगर मैं गलती करता हूं तो आप भी उसका विरोध पूरी तरह से कर सकते हैं..
अटल जी एक ऐसा नेता थे जिनका राजनीति में कोई दुश्मन नहीं था..इनका व्यक्तिव ऐसा था..कि उनका चाहे विरोधी हो या फिर समर्थक हर कोई उनकी इज्जत करता था..इनका किसी को भी गलत कहना और उसको एहसास भी ना होने देने का गुण तो कूट-कूट कर भरा हुआ था..और अटल जी (Biography Atal Bihar Vajpayee) वो नेता बिल्कुल नहीं थे..जैसे आज की राजनीति में नेता होते हैं..अटल जी अगर विपक्ष में भी होते और अगर बात भारत के फायदे की हो रही होती तो..तो वो उसका भी समर्थन करते..एक किस्सा आपको बताती हूं..
साल था 1971 और इस समय सरकार थी इंदिरा गांधी की और उन्होंने अपने एक भाषण के दौरान कहा कि गरीबी हटाई..गरीबी हटाओ का नारा तो दिया लेकिन बाद में इंदिरा गांधी इस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान के झगड़े में फंस गई..औऱ उस समय बांग्लादेश में आपस में ही झगड़े इतने ज्यादा बढ़ गए कि वहां से काफी लोग भारत में आने लगे..और उस समय जब इंदिरा गांधी वहां पर हालात को सही करने के लिए प्रयास करने लगी तो..
उस समय भारत के उपर चारों तरफ से अटैक किया जाने लगा..और उस समय भारत पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए..नवसेना के जरिए..भी काफी प्रयास किए गए..लेकिन ये सब होते हुए भी हुए इंदिरा गांधी ने हार नहीं मानी और किसी को भी भारत के उपर कब्जा नहीं करने दिया..लेकिन आपको पता है कि इंदिरा गांधी (Biography Atal Bihar Vajpayee) आखिर कैसे ये सब कर पाई..वो इसलिए ही कर पाई क्योंकि अटल जी कहने लगे की ये देश की बात है..अटल जी इंदिरा गांधी के साथ खड़े रहे..जबकि विपक्ष इंदिरा जी का वरोध करना चाहता था..उन्हें उनके ही नारे गरीबी हटाओ को लेकर घेरना चाहता था..कि क्या आप भी गरीबी हटाते-हटाते कहां आप विदेश के झगड़ों में लग गई..
लेकि इसके बाद भी अटल जी इंदिरा जी के साथ रहे उन्होंने उनसे कहा कि आप बिल्कुल भी चिंता ना करें जहां बात देश की हो रही है..वहां पूरा का पूरा विपक्ष मिलकर आपके साथ रहेगा…
अटल जी (Biography Atal Bihar Vajpayee) एक ऐसे नेता थे..जो सभी को जोड़कर चलना चाहते थे..सभी से अपने संबंधो को सुधारकर रखना चाहते थे..यही वजह थी..कि उन्होंने सोचा की क्यों ना पाकिस्तान के साथ अपने संबंध सुधारे जाए..और क्यों ना लड़ाई खत्म कर दी जाए और इसलिए उन्होंने पाकिस्तान की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए लाहौर की यात्रा की..लेकिन इस यात्रा से कुछ हासिल नहीं हुआ और इस यात्रा के बाद 1999 में पाकिस्तान ने कारगिल में घुसपैठ कर दी..लेकिन इसके बाद भी भारतीय सेना ने उन सबको मार भगाया..
अब बात करेंगें उनकी निजी जीवन के बारे में..
अटल बिहारी वाजपेयी (Biography Atal Bihar Vajpayee) का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को लश्कर ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था..इनके पिता का नाम पंडित कृष्ण वाजपेयी था..इनकी माता का नाम कृष्णा देवी था..इनके माता पिता का नाम एक ही था..बहुत कम ही ऐसा संयोग होता है..जब माता और पिता का नाम एक ही हो..इनके पिता पढाने का काम करते थे..इनकी माता हाउसवाइफ थी..अटल जी अपने माता पिता की सातवीं संतान थी..उनके तीन बड़े भाई और तीन बडी बहने थी..
अटल जी अपने पूरे जीवन में शादी नहीं की थी..लेकिन इन्होंने अपने सबसे पुरानी दोस्त राजकुमारी कौल और बी एन कौल की दोनों बेटियों नमिता और नंदिता दोनों को गोद ले लिया था..साल 2014 में राजकुमारी कौल की मृत्यु हो गई उसके बाद अटल जी के साथ नमिता औऱ उनके पति रंजन भट्टाचार्य साथ रहने लगे..
अटल जी ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई-लिखाई बड़नगर के गोरखी विद्यालय से पूरी की..यहां ने इन्होंने अपनी 8वीं तक की शिक्षा प्राप्त की..एक अच्छे वक्ता के रुप में अटल जी को यहीं से पहचान मिली थी..अटल जी (Biography Atal Bihar Vajpayee) ने अपना पहला भाषण उस वक्त दिया था..जब वो कक्षा 5 में पढ़ते थे..और बडनगर में आगे की पढ़ाई ना हो पाने के कारण..उन्हें ग्वालियर जाना पड़ा..और वहां से उन्होंने पर विक्टोरिया कॅालेजिएट स्कूल से कक्षा 9 से इंटर तक की पढाई इसी स्कूल से की..औऱ इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन में अपने तीनों सब्जेक्ट भाषा पर आधारित लिए जो थे..संस्कृत, हिन्दी औऱ अंग्रेजी..इन्होंने अपने कॅालेज के दिनों से ही अपनी कविताओं को लिखना शुरु कर दिया था..
उनके कॅालेज में कवि सम्मेलनों का आयोजन होता रहता था..और यहां से पढ़ाई करते-करते अटल जी ने बहुत सारी कविताएं लिखी औऱ खूब सारे अवार्ड जीते..अटल जी के बाबा कवि थे उनके (Biography Atal Bihar Vajpayee) पिता कवि थे..और इसी वजह से कविता की जो गहराई होती है..उसे समझने में उन्हें काफी ज्यादा मदद मिलती थी..ग्वालियर में ग्रेजुएश की डिग्री लेने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो कानपुर चले गए..और वहां पर उन्होंने एम. ए. औऱ एलएलबी में एक साथ ही एडमिश लिया..इसके बाद अटल जी कॅालेज की और भी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरु कर दिया..सबसे पहले वो छात्र संगठन के साथ जुड़े..और इसके बाद अटल नारायण राव से काफी ज्यादा प्रभावित हुए..नारायण राव राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ता थे..
अटल ने साल 1952 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा..लेकिन इस चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी..औऱ 1957 में बलरामपुर से जनसंघ कैंडिडेट के रुप में जीत हासिल करके लोकसभा लोकसभा पहुंच गए..
अटल जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री (Biography Atal Bihar Vajpayee) बने सबसे पहले साल 1996 में 13 दिनों के लिए, 1998 से 1999 में 13 महीनों के लिए और 1999 से 2004 तक पूरे पांच साल तक के लिए प्रधानमंत्री के पद पर बने रहे..और फिर एक समय आया जब उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने की सोची..और 29 दिसंबर 2005 को उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी..
अटल जी को 7 अवार्डों से सम्मानित किया गया..इन्हें पद्म विभूषण औऱ भारत रत्न अवार्ड से भी सम्मनित किया गया है..अटल साल 2015 में भारत रत्न पाने वाले 44 व्यक्ति बने थे..इसके बाद एक ऐसा समय (Biography Atal Bihar Vajpayee) आया जब उन्होने 93 वर्ष की उम्र में 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स हास्पिटल अपनी अंतिम सांस ली थी..औऱ ऐसे दिग्गज नेता के की मृत्यु पर सरकार ने 7 दिन की राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी..