अमरूल्लाह सालेह के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह की बेरहमी के साथ हत्या

Amrullah Saleh Brothers Rohullah Tortured Death : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में दिन पर दिन हालात और ज्यादा बिगड़ते गए है. ऐस में जो खबर सामने आ रही है कि तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति रहे अमरूल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह की हत्या कर दी गई है.एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमरूल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) के बड़े भाई की दरिंदगी के बाद मौत के घाट उतार दिया गया है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तालिबानी लड़ाकों ने पंजशीर में बीती रात रोहुल्लाह सालेह की बड़ी ही बेरहमी के साथ हत्या कर दी.

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अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) को लेकर कई रिपोर्टो में दावा किया गया है कि उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ दिया है और ताजिकिस्तान चले गए हैं लेकिन सालेह ने हाल ही में पंजशीर से एक वीडियो शेयर कर दावा किया कि वह पंजशीर में ही हैं और अपने लोगों को छोड़कर कहीं जाने वाले नहीं हैं.

पंजशीर वही क्षेत्र है जहां तालिबान और नॉर्दन अलायंस के बीच संघर्ष चल रहा है. अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) तालिबान के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं. अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) दुनिया से तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देने की गुजारिश की है.अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद अमरूल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने पंजशीर के लड़ाकों को खुला समर्थन दिया था। उनकी तरफ से कई मौकों पर तालिबान को खुली चेतावनी भी दी गई है.

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अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने कुछ पहले ही कहा था कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में सभी कामों को पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ ही देख रही है. उन्होंने कहा था कि पंजशीर में संयुक्त राष्ट्र को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए. पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह नार्दर्न अलायंस के साथ मिलकर पंजशीर में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे.

पूर्व उपराष्ट्रपति ने डेली मेल में लिखे एक लेख में अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम को लेकर कई नई जानकारियां दी थी. अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh)ने स्वयं को अशरफ गनी के भाग जाने के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति माना था.

अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने अपने लेख में कहा था कि काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान हर घंटे पाकिस्तानी दूतावास से निर्देश लेता है. आइएसआइ ही अब तालिबान को पूरी तरह चला रहा हैं. अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा सिर्फ एक थके हुए अमेरिकी राष्ट्रपति की गलत नीतियों का नतीजा है. अमरुल्लाह सालेह ने कहा था कि यह पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान के विश्वास को धोखा दिया हैं.

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सालेह ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर पंजशीर में तालिबान के हमलों को लेकर हस्तक्षेप करने की अपील की थी. डेली मेल में सालेह ने अपने लेख में 15 अगस्त से पहले की स्थितियों के बारे में भी जानकारी दी थी.अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने कहा था कि राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाग जाने के बाद पूरी सेना अंडर ग्राउंड हो गई थी.

अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने उस समय राष्ट्रपति पैलेस से लेकर कई शीर्ष नेताओं से मिलने की कोशिश की भी थी, बाद में वह काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही पंजशीर निकल गए थे. रास्ते में उनके काफिले पर तीन स्थानों पर हमले किया गया था. उन्होंने कहा था कि मैं तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करूंगा. मैंने अपने गार्ड को कह दिया है कि लड़ाई में घायल होते ही मेरे सिर में दो गोली मार देना.

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