यूपी गजब है..मोदी जी की रैली के कारण फंसी एंबुलेस (Ambulance)..पुलिस वीडियो बनाने वाले को खोजने लगी : संपादकीय व्यंग्य

ज्ञान देना अलग बात है..ज्ञान पर अमल करना अलग बात..क्या किसी नेता को रैली के नाम पर एंबुलेंस (Ambulance) रोक देने का अधिकार है..क्या किसी नेता को रैली में सरकारी बसें लगा लेना का अधिकार है..क्या किसी नेता तो रैली के लिए सड़कों को बंद कर देने का अधिकार है..क्या किसी शहर को रैली के नाम पर बंधक बना लेने का अधिकार है..रैलियों में रोड बंद कर देने से क्या होता है..बताते हैं..ये एक एंबुलेंस है जो नरेंद्र मोदी जी की रैली में गोरखपुर में फंसाी हुई है..ये वीडियो देखिए फिर आगे की बात बताएंगे..सजा किसे मिलनी चाहिए और पुलिस खोज किसे रही है..वो भी बताएंगे..

गोरखपुर में मोदी जी की रैली में एंबुलेंस (Ambulance) फंसी हुई थी. पत्रकार अनमोल प्रीतम ने वीडियो बना लिया..वीडियो बनाने के बाद पुलिस एंबुलेंस को जाम से निकालने के बजाए..पत्रकार को खोजने लगी..कि उसने ये वीडियो बनाया क्यों..दोस्तों समझ रहे हैं आप..पुलिस पत्रकार के घर तक पहुंच गई..अनमोल खुद बता रहे हैं सुनिए..किस तरह की व्यवस्था समाज में जन्म ले रही है..जो सच दिखाएगा वो धमाकाया जाएगा..आज मैं कम बोलूंगी आप अनमोल को सुनिए..

जो यूपी की पुलिस महिलाओं के साथ छेड़खानी करने वालों को नहीं पकड़ पाती..हत्यारों को नहीं पकड़ पाती..वो यूपी की पुलिस पत्रकार को आतंकियों की तरह खोज रही है थी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने एंबुलेंस (Ambulance) का वीडियो बना लिया था..इस देश में प्रधानमंत्री हो या चपरासी किसी को भी रैली के नाम पर या किसी दूसरी नाटकबाजी के नाम पर सड़क जाम करने का कोई अधिकार नहीं है..प्रधानमंत्री तो दुनिया को ज्ञान देते हैं..बादलों में जहाज छिपा लेते हैं नाले की गैस से चाय बना लेते हैं..सारे दुर्गम काम कर लेते हैं..रैली में फंसी एंबुलेंस को निकालने का भी कोई रास्ता बता सकते थे..

लेकिन यहां रास्ता ये निकला कि एंबुलेंस (Ambulance) को छोड़ो वीडियो बनाने वाले को पकड़ो..सारी समस्या की जड़ समस्या को दिखाने वाला है..रैलियों ने नाम पर पूरे शहर को बंधक बना लेने की परंपरा को खत्म करने के लिए कोई नियम बनाना चाहिए मोदी जी तो तुरंत अध्यादेश से कानून ले आते हैं..जनता को इंतजार रहेगा कि कब रैली के नाम पर शहरों को बंधक बनाने के खिलाफ कानून आएगा..क्योंकि आप रैली कर रहे हैं..इसलिए कोई दूसरा एंबुलेंस में पड़े पड़े मर जाए..ये हत्या है..और ये सिर्फ नरेंद्र मोदी या बीजेपी पर ही लागू नहीं होता..सभी पार्टियों पर लागू होता है..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.

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