मैं बनाऊंगा मायावती को प्रधानमंत्री, और वो मुझे यूपी का मुख्यमंत्री बनाएंगी: अखिलेश
लोकसभा चुनाव में यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है. सपा-बसपा गठबंधन का एक राज़ जो खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खोल दिया है. जिससे सभी दलों की बेचैनी बढ़ गयी है.

एक तरफ लोकसभा चुनाव 2019 का इम्तेहान चल रहा है और पांच पड़ाव पार हो चुके हैं. बस छठे और सातवें चरण की वोटिंग बस बाकी है. बचे हुए इन दो चरणों में सबकी नजरें यूपी पर हैं. अभी हालही में बसपा प्रमुख मायावती ने एक जनसभा में कहा था कि अगर सब कुछ अच्छा रहा तो वो लोकसभा चुनाव लड़ेंगी और प्रधानमंत्री भी बन सकती हैं. इससे पहले वे कई बार प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जता चुकी हैं.
मगर अब खुद अखिलेश यादव ने ही उनकी बात को पूरी तरह से साफ़ कर दिया है. अखिलेश ने मीडिया से बात करते हुए बोले कि गठबंधन होने के बाद मुझे मायावती जी के बारे में जानने का काफी मौका मिला है, मैंने उनमें काफी अच्छाईयां भी देखी हैं. वे काफी अनुशासित हैं और मुझसे अनुभवी भी हैं. उनके और हमारे बीच में एक जेनरेशन गैप है, वे प्रधानमंत्री बने इससे मुझे बेहद खुशी होगी, इसके लिए मैं पूरी मेहनत करने के लिए भी तैयार हूं. और इसके बदले में वो भी मुझे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री देखने के लिए तैयार हैं.
मतलब साफ़ हो गया है की अखिलेश माया को प्रधानमंत्री बनाएंगे और मायावती उन्हें यूपी का मुख्यमंत्री. अब आपको बतादें कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, और यहाँ 80 लोकसभा सीटें हैं. सपा-बसपा मिलकर इन सीटों पर लड़ रहे हैं. और उनके साथ रालोद भी 3 सीटों पर लड़ रही है. पहले अनुमान तो लगाया गया था कि सपा-बसपा को इस चुनाव में बड़ा फायदा हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो दोनों पार्टियां किंगमेकर की भूमिका में आ सकती हैं.
अभी मौजूदा स्थिति में सपा के पास लोकसभा की 7 सीटें ही हैं तो वही बसपा के पास तो एक भी नहीं हैं. अब ऐसे में अगर किंगमेकर बनना है तो इन दोनों को मिलकर लगभग 60 सीटें तो जीतनी ही होंगी. अगर दोनों की मिलकर 30 से कम रहीं तो फायदा भी नहीं है. क्युकी यूपी के बाद दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल आता है जहां 42 लोकसभा सीटे हैं. ऐसे में अगर ममता ने 30 सीटें जीत ली तो वो भी किंगमेकर बन सकती हैं. और फिर मतदान में तो ममता दीदी की गुंडई तो आप देख ही चुके हैं. की वो जीत के लिए किस हद तक जा सकती हैं.
अखिलेश ने ये खुलासा कर तो दिया है. लेकिन क्या आपको नहीं लगता की उन्होंने थोड़ा देरी कर दी. अगर वे पहले ही ये सबके सामने कह देते तो चुनावी समीकरण थोड़ा और बदल सकते थे. खैर अब जो भी हो सबको 23 मई का ही इंतजार है.