अखिलेश ने इस ‘किस्से’ के बाद सपा के बड़े नेताओं के ‘पैरे छूने’ बंद कर दिए
ulta chasma uc : अमर सिंह (amar singh) को अखिलेश यादव (akhilesh yadav) अंकल कहते थे. अमर सिंह से अखिलेश यादव की दूरियां कैसे बढ़ीं. क्यों अखिलेश यादव आज भी अमर सिंह का नाम लेकर कुछ नहीं बोलते. ये अखिलेश ही जानते हैं. लेकन एक रहस्य से हम आज पर्दा उठाएंगे. और ये रहस्य खड़ा है एक किताब की बुनियाद पर. एक पत्रकार हैं उनका नाम है प्रिया सहगल (priya sahgal) उन्होंने एक किताब लिखी है. किताब (book) का नाम है THE CONTENDERS इस इस किताब में अखिलेश को अध्यक्ष बनाए जाने की ऐसी कहानी है जिस पर आपको भरोसा नहीं होगा. कई सवाल मन में आएंगे.
अमर सिंह ने अखिलेश को अध्यक्ष बनाने को कहा था : किताब
अखिलेश यादव को अमर सिंह ने अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा था. जी हां सच क्या है ये अखिलेश. मुलायम और रामगोपाल से बेहतर कोई नहीं जानता लेकिन पत्रकार प्रिया सहगल जी की किताब के मुताबिक अखिलेश को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव अमर सिंह ने रखा था. वक्त था 2007 समाजवादी पार्टी मायावती से बुरी तरह से हार गई थी. मायावती ने उत्तर प्रदेश में बहुमत की सरकार बनाई थी. समाजवादी पार्टी के नेता हार का मंथन करने के लिए मुलायम के घर पर बैठे थे. अगुआई कर रहे थे तब के समाजवादी पार्टी के कर्ताधर्ता अमर सिंह.
हार के मंथन में हुआ था अखिलेश को अध्यक्ष बनाने का जिक्र
किताब के मुताबिक 2007 में मायावती (mayawati) से हार के मंथन वाले मंथन में जया प्रदा, अमर सिंह, रामगोपाल यादव (ramgopal yadav), और जयाप्रदा मौजूद थे. तभी अमर सिंह ने समाजवाद पार्टी की कमान नौजवान खून के हवाले करने की बात कही. और अखिलेश का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे किया. तब अमर सिंह ने कहा कि नए दौर की राजनीति में नौजवान नेता की जरूरत है. उस बैठक में इस पर तब कोई फैसला नहीं हो पाया. हालांकि अखिलेश सन 2000 में लोकसभा के लिए कन्नौज से चुने जा चुके थे.
किताब के मुताबिक उस दिन की बैठक में अमर सिंह अपनी दोनों जुड़वा बेटियों में से एक से उसके फेवरेट टीवी धारावाहिक के बारे में पूछा. जवाब मिला Hannah Montana मुलायम सिंह इस शो का नाम सुनकर अचरज में पड़ गए क्योंकि उन्होंने ऐसा नाम पहले कभी नहीं सुना था. उन्होंने चंद्रकांत, रामायण, अलिफलैला जैसे धारावाहिकों के नाम सुने थे. अमर सिंह ने इसको नई उम्र और नए लोगों की समझ के साथ जोड़ा और कहा नई उम्र की जरूरत पार्टी को है. मुलायम ने कहा कि वो इस बारे में पार्टी के विचारक जनेश्वर मिश्र से बात करेंगे.
जनेश्वर मिश्र की बात अखिलेश ने गांठ बांध ली
मुलायम ने अखिलेश को राजनीति में फ्रंट फुट पर उतारने के लिए जनेवश्वर मिश्र (janeshwar mishra) से केवल छोटी सी बीत छेड़ी. जनेश्वर मिश्र ने भी नई उम्र के हाथों में पार्टी का भविष्य होने पर सहमति जताई. मुलायम सिंह यादव को हैरानी हुई तब मुलायम राजनीति के धुरंधर थे. फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे थे. इसके बाद से ही अखिलेश को समाजवादी पार्टी का भविष्य माना जाने लगा. मुलायम जनेश्वर जी का रूख समझ चुके थे. किताब के मुताबिक एक बार अखिलेश यादव जनेश्वर मिश्र से मिलने गए अखिलेश ने जनेश्वर जी के पैर छुए जनेश्वर जी ने अखिलेश से कहा कि सबके पैर ही छूते रहोगे तो पार्टी को अनुशासन में कैसे रखोगे. उसके बाद अखिलेश ने समाजवादी पार्टी में बहुत से वरिष्ठ लोगों के पैर छूने कम कर दिए. केवल परिवार के लोगों के ही पैर छूते थे.
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— Simon & Schuster IN (@SimonSchusterIN) October 18, 2018
राम गोपाल यादव ने अखिलेश को मुख्यमंत्री बनवाया था
उस समय अखिलेश को अध्यक्ष बनाने की बात आई गई हो गई. अखिलेश ने समाजवादी पार्टी का प्रचार युवाओं के बीच करना शुरू किया. ब्लैकबेरी मोबाइल वाला लड़का युवाओं के बीच निकला. साईकिल चलाई 2012 का चुनाव जीता सपा के भीतर कुछ लोगों की नाराजगी के बाद भी अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया गया. बाद में समाजवादी पार्टी के कानून निर्माता रामगोपाल यादव ने एक अधिवेशन में अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करा लिया. और मुलायम सिंह यादव संरक्षक हो गए. और सपा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दिल में संजोए शिवपाल यादव अलग थलग हो गए.
‘Outsider Amar Singh’s portly figure looms large on the Yadav family’, writes @Priyascorner | https://t.co/SpHdhLpJSK
— The Sunday Guardian (@SundayGuardian) October 28, 2018
किताब में लिखा गया है कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने में सबसे बड़ा हाथ राम गोपाल यादव का है. मुलायम सिंह यादव ने कहा था की चौथी बार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन रामगोपाल यादव ने कहा था कि सपा की राजनीति रिकॉर्ड बनने की नहीं है. पार्टी को युवा अनुभव की जरूरत है. इसके बार राम गोपाल यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किसी को खास तौर पर शिवपाल को कोई मौका ना देते हुए माइक से ऐलान किया कि अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आजम खान साहब अखिलेश के नाम का प्रस्ताव रखेंगे. और उसके बाद अखिलेश को मुख्यमंत्री मान लिया गया.