अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने बूढ़ी दादी के लिए रुकवा दिया रथ फूलनदेवी की मां ने चूम लिया हाथ..

दोस्तों अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की विजय रथ यात्रा जब जालौन पहुंची तो एक हैरान करने वाला नजारा देखने को मिला..अखिलेश यादव ने अपना रथ रुकवाया और रथ से उतरकर एक बूढ़ी औरत के पैर छू लिए..ये देखकर हर कोई हैरान था..कि लाखों लोगों की भीड़ में ये गरीब सी दिखने वाली औरत कौन है..और अखिलेश यादव ने इस बूढ़ी दादी के पैर क्यों छुए..और बदले में उस बूढ़ी औरत ने भी अखिलेश यादव का हाथ चूम लिया..तो जानना चाहते हैं..जालौन में ये क्यों हुआ..और इस बूढ़ी औरत ने अखिलेश यादव के हाथ क्यों चूमें..सब बताएंगे..
दोस्तों हुआ ये था कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की रथ यात्रा जालौन से कानपुर की तरफ जा रही थी..तभी अखिलेश यादव को भीड़ के बीच एक बूढ़ी दादी दिखाई दीं…अखिलेश यादव ने अपने साथियों से पूछा कि नौजवान कार्यकर्ताओं की भीड़ के बीच ये बुजुर्ग महिला कौन हैं..पता कराया गया तो पता चला ये बूढ़ी दादी दस्यू सुनंदरी फूलन देवी की मां फूला देवाी हैं..वो फूलनदेवी जिनके नाम से चंबल की घाटियां खौफ खाती थीं..वो फूलनदेवी जिन्होंने अन्याय को खत्म करने के लिए बंदूकर उठा ली थी..
अखिलेश यादवने ने तुरंत अपना विजय रथ रुकवाया और फूलन देवी की मां के पैर छुए..उनका हाल चाल जाना..और अपने साथियों को आदेश दिया कि फूलनदेवी की मां को कोई तकलीफ ना होने पाए..और उनके जीवन की जरूरतों का ध्यान रखा जाए..अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने हाथ जोड़कर उनको प्रणाम किया और कार्यकर्ताओं से कहा कि फूलनदेवी की मां को घर तक छोड़कर आएं..उसके बाद अखिलेश यादव आगे बढ़ गए..
दोस्तों जब दुनिया फूलनदेवी को नीच जाति का होने का ताना मारती थी..नफरत करती थी..तब मुलायम सिंह यादव (Akhilesh Yadav) ने फूलनदेवी के ऊपर दर्ज मुकदमे वापस लिए थे और फूलन को मुख्यधारा में लाने के लिए 1996 में मिर्जापुर सीट से सपा का सांसद बनाया था..फिर दोबारा भी लोकसभा भेजा था..फूलन का जन्म जालौन के ही घूरा गांव में हुआ था..