मुस्लिम नेताओं के इस्तीफों पर पहली बार बोले अखिलेश

ये जो बातें आज हो रही हैं..वो 2 महीने पहले इसलिए नहीं हुईं क्योंकि मुस्लिमों को लगता था कि सरकार आ जाएगी तो शायद हालात बदल जाएंगे..लेकिन जब सरकार नहीं बदली..को अब मुस्लिमों को बहुत साफ लगता है कि अखिलेश यादव मुस्लिमों के साथ सीना तानकर खड़े नहीं हो रहे हैं..सुल्तानपुर से सपा नेता सलमान जावेद राईन ने सपा से इस्तीफा दे दिया और इस्तीफे में लिखा कि मुसलमानों के साथ हो रहे जुल्म के खिलाफ.. (Akhilesh said for the first time on the resignations of Muslim leaders )
समाजवादी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों का आवाज ना उठाना आजम खां साहब को परिवार समेत जेल में डाल दिया गया..नाहिद हसन को जेल में डाल दिया गया..शहजिल इस्लाम का पेट्रोल पंप गिरा दिया गया..और अखिलेश यादव खामोश रहे..जो कायर नेता अपने विधायकों के लिए आवाज नहीं उठा सकता वो आम कार्यकर्ता के लिए क्या आवाज उठाएगा…ये बातें पिछले कई महनों से चल रही थीं..लेकिन खुलकर कोई नहीं कह रहा थ..सबको लगता था कि सरकार आ जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा. (Akhilesh said for the first time on the resignations of Muslim leaders )
खैर राईनी अकेले ऐसे मुसलमान नहीं हैं जो अखिलेश यादव को शक की निगाह से देख रहे हैं..आजमखान के मीडिया प्रभारी फसहत अली खान ने तो यहां तक कह दिया अगर आजम खान की जगह पर मुलायम सिंह यादव जेल में बंद होते तो समाजवादी पार्टी जिले जिले आंदोलन कर देती लेकिन अखिलेश आजम खान से जेल में मिलने तक नहीं जाते..आजम खान के मीडिया प्रभारी ने कहा कि अखिलेश यादव को हमारे कपड़ों से बदबू आती है..अखिलेश नहीं चाहते कि आजम खान जेल से बाहर आएं..फसहत अली खान ने कहा कि हमारे यानी मुस्लिमों की वजह से सपा की 111 सीटें आई हैं..यादवों ने सपा को वोट तक नहीं दिया (Akhilesh said for the first time on the resignations of Muslim leaders )
सपा के सांसद शफीकुर्ररहमान बर्क ने का भी कहना है कि हम समाजवादी पार्टी से संतुष्ट नहीं हैं…दोस्तों समाजवादी पार्टी अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है..मुश्किल दौर से इसलिए नहीं गुजर रही है क्योंकि चुनाव हार गई है..चुनाव हारना अखिलेश के लिए चिंता का विषय नहीं है..बल्कि चुनाव हारने के बाद अपना कोर वोट बैंक हार जाना ये चिंता का विषय है.. (Akhilesh said for the first time on the resignations of Muslim leaders )
जिन मुलायम सिंह यादव को मुल्ला मुलायम कहा गया जिन मुलायम को योगी आदित्यनाथ ने अब्बाजान कह दिया..अखिलेश यादव पर मुस्लिम परस्त होने का ठप्पा लग गया..एंटी हिंदू होने का ठप्पा लग गया..अब वही मुस्लिम अखिलेश को एंटी मुस्लिम बता रहे हैं…बिजनेज क्लास यादव इस ताक में बैठा है कि कब शिवपाल यादव बीजेपी में जाएं और वो उनके पीछे पीछे..बीजेपी में चले जाएं.. (Akhilesh said for the first time on the resignations of Muslim leaders )
अखिलेश यादव के पास सबसे बड़ी परेशानी ये भी है कि इस मुश्किल काल में ना तो उनके पास चुस्त संगठन है..और ना ही थिंक टैंक है..सच बात ये भी है कि जो पार्टी यादवों की पार्टी होने के आरोप झेलती है..उसी पार्टी में यादव अपनी भागीदारी को लेकर संघर्ष करते दिखाई देते हैं..2022 के चुनाव ने समाजवादी पार्टी के बेस वोट में बहुत बड़ा बदलाव हो चुका है..ये बदलाव 2024 के लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा..खैर ये अखिलेश यादन की अपनी पर्सनल दिक्कत है..लेकिन समाजवादी पार्टी ने ऐसा दौर पहले कभी नहीं देखा जब पार्टी का उसका अपना कोर वोट पार्टी से इतना नाराज हो कि अलग होने का मन बना ले.. (Akhilesh said for the first time on the resignations of Muslim leaders )