मोदी से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं दिखा पाया आजतक

दोस्तों इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) को बुलाय गया था..सबको लग रहा था कि देश का नंबर वन चैनल..देश के प्रधानमंत्री ( Narendra Modi ) से कुछ पूछेगा कुछ बात करेगा..अपनी ही कहते जाने वाले प्रधानमंत्री ( Narendra Modi ) से कुछ पूछेगा..दोस्तों ऐसा कुछ नहीं हुआ..हैरानी इसमें नहीं है कि कुछ पूछा नहीं..पूरा देश हैरान तब रह गया जब देश के नंबर वन न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने पत्रकारिता सीख रही नई पीढ़ी की भ्रूण हत्या कर दी…दोस्तों..इंडिया डुटे के एडिटर इन चीफ कम मालिक ने सवाल पूछने की हिम्मत तो दूर..इंडिया टुटे के मालिक ने खुद ही सवाल किया और खुद की जवाब दे लिया

नंबर वन चैनल पीएम से सवाल नहीं पूछ पाया

इस तमाशे को जिसने भी देखा वो हैरान रह गया..इतना इक्सपीरियंस पत्रकार..देश का नंबर वन चैनल होने की बात करने वाला चैनल..अपने प्रधानमंत्री से एक सवाल नहीं पूछ पाया…मारे डर के एक सवाल किया..सिंगल सवाल…और उस सवाल का जवाब भी खुद ही दे लिया..सवाल पूछने से पहले कहा अगर आप बुरा ना मानें तो..सवाल करूं..और खुद ही जवाब देने से पहले कहा गुस्ताफी माफ हो

बडे़ मुद्दों पर कैसे सरकार से क्योश्चन कर पाएंगे ?

गुस्ताखी माफ तो राजा रजवाड़ों के दौरान खूंखार राजा से कोई बात कहने से पहले प्रजा कहती थी..कि गुस्ताखी माफ हो..जान की बख्शीश हो तो एक बात पूछना चाहते हैं..ये हाल है लोकतंत्र का..अरुण पुरी ने खुद ही सवाल पूछा और खुद ही जवाब देते समय कहा गुस्ताखी माफ हो..इन संपादकों के चैनलों से कैसे अपेक्षा की जा सकती है कि ये आपको डंके की चोट पर..निष्पक्ष होकर कोई बात बताएंगे..जब इनकी जुबान एक मजाकिया सवाल भी गुस्ताखी माफ हो कहकर पूछती है तो..बडे़ बडे़ मुद्दों पर कैसे सरकार से क्योश्चन कर पाएंगे

मोदी की बात सही है ?

आज एक बात साफ हो गई दोस्तों..कि भले मेरे पास अरुण पुरी जैसा तमझाम नहीं है,..भले मेरे पास करोड़ों रूपए का एंपायर नहीं है..लेकिन पत्रकारिता के पेशे में मैं अरुण पुरी को अपने से आगे नहीं पाती..छोटी हूं मुंझे अरुण पुरी जी कहना चाहिए था..लेकिन कह नहीं पा रही हूं…समझती हूं की धंधा चलाना है..समझती हूं कि चैनल बंद नहीं करवाना है लेकिन दिखावे के लिए ही सही..नाम इंडिया टुडे कॉन्क्लेव रखा था तो..कॉन्क्लेव जैसा कुछ करते तो..प्रधानमंत्री से कुछ पूछे बिना भाषण ही दिलवाना था..तो देश उनका भाषण तो रोज सुनता ही है..फिर जनता को इतना गुमराह क्यों किया कि आज मोदी जी आएंगे..मोदी जी आएंगे..शादी में तो आए नहीं थे..कॉन्क्लेव में बुलाया था..महीने भर से ढोल पीट रहे थे..दर्शक काम धंधा छोड़कर टीवी के सामने बैठे थे..कि आजतक ने बुलाया है..चैनल आज तो प्रधानमंत्री ( Narendra Modi ) से कुछ पूछेगा..लेकिन नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ..प्रधानमंत्री ने भाषण दिया..और चले गए..जब अपना ही सिक्का ही खोटा है..प्रधानमंत्री मोदी को दोष क्या देना.. भाषण के शुरुआत में मोदी ने एक बात कही..वही सत्य बात है