बड़ा फैसला: मोदी सरकार ने ’15 CBIC अधिकारियों’ को किया जबरन रिटायर
मोदी सरकार ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई कर दी है. इस बार सीबीआइसी अधिकारियों पर ये गाज गिरी है. मोदी सरकार ने सीबीआइसी (CBIC) में कमिश्नर रैंक के 15 बड़े अधिकारियों की छुट्टी कर दी है.

इन सभी अधिकारियों पर पद पर रहते हुए नियमावली के विपरीत कार्य करने का दोषी पाया गया है. सरकार ने विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा सिफारिश मिलने के बाद ऐसा करने का निर्णय लिया है. इससे पहले भी सरकार ने आयकर विभाग के 12 बड़े अधिकारियों से 10 जून को इस्तीफा मांग लिया था. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के प्रिंसिपल कमिश्नर, कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर को सरकार ने जबरन रिटायर कर दिया है.
वित्त मंत्रालय ने नियम 56 के तहत ऐसा किया है. इसमें प्रमुख आयुक्त डॉक्टर अनूप श्रीवास्तव, आयुक्त अतुल दीक्षित, संसार चंद, जी श्री हर्षा और विनय बृज सिंह, अतिरिक्त आयुक्त के पद से अशोक आर महिदा, वीरेंद्र कुमार अग्रवाल और राजू सेकर, उपआयुक्त पद पर तैनात अमरेश जैन और अशोक कुमार असवाल; ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार, सहायक कमिश्नर एस एस पबाना, एस एस बिष्ट, विनोद कुनार सांगा, मोहम्मद अल्ताफ का नाम शामिल है.
30 मई को शपथ लेने के बाद पीएम मोदी पूरे एक्शन में हैं. उन्होंने पहले ही ये साफ़ कह दिया था की अगले पांच सालों में सरकार कई बड़े फैसले और बदलाव करेगी. अब इसके बाद तीन तलाक पर प्रतिबंध के लिए केंद्र सरकार बजट सत्र में नया विधेयक भी पेश करने वाली है. नया विधेयक फरवरी में पेश किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा. और उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार ये बिल राज्यसभा से भी पास करा लिया जाएगा.
बतादें की मोदी सरकार तीन तलाक विधेयक को पहले भी पेश कर चुकी है. मगर उस समय ये राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था. और नियम से अनुसार जो विधेयक लोकसभा में पेश किए जाते हैं और राज्यभा में लंबित रहते हैं और उसी के दौरान अगर लोकसभा भंग हो जाये तो वो विधेयक अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं. अब नई सरकार बनने के बाद पुरानी लोकसभा भंग हो गई इसलिए तीन तलाक बिल भी समाप्त हो गया. इसी वजह से सरकार को नया विधेयक लाना पड़ रहा है.