बर्फीली पहाड़ियों के बीच ‘बूढ़े बाबा’ ने किया कमाल, ‘छड़ी’ से दौड़ा दी शिमला में रेल
Ulta Chasma Uc : कालका-शिमला रेलवे मार्ग 115 साल हो गया है. ये रेलमार्ग सुन्दर सुन्दर पहाड़ियों के बीच बना हुआ है, जो अपने आप में बेहद खूबसूरत और आकर्षक भी है. सन् 1896 में इस रेलवे मार्ग को बनाने का काम दिल्ली-अंबाला कंपनी को दिया गया. लगभग 7 साल बाद 9 नवंबर 1903 को कालका-शिमला रेलमार्ग बनाने की शुरूआत की गई. कालका-शिमला रेलमार्ग में कई इतिहास छिपे हुए हैं. ये रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है.

कालका-शिमला रेलवे मार्ग की खासियत
देश-विदेश से शिमला के लिए आने वाले टूरिस्ट इसी रेलमार्ग से टॉय ट्रेन में सफर का आनन्द लेते हुए जाते हैं. कालका-शिमला रेलमार्ग में 103 सुरंगें और 869 पुल बने हुए हैं. इस मार्ग पर 919 घुमाव आते हैं, जिनमें से सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है. समुद्र तल से 656 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालका (हरियाणा) रेलवे स्टेशन को छोड़ने के बाद ट्रेन शिवालिक की पहाड़ियों के घुमावदार रास्ते से गुजरते हुए 2076 मीटर ऊपर स्थित शिमला तक जाती है.

महात्मा गांधी ने भी की थी यात्रा
96 किलोमीटर लंबे इस कालका-शिमला रेलमार्ग पर 18 स्टेशन है. कालका-शिमला रेलमार्ग को केएसआर के नाम से भी जाना जाता है. सन् 1921 में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कालका-शिमला मार्ग से यात्रा की थी. जब घुमावदार पहाड़ों के बीच से टॉय ट्रेन गुजरती है तो पहाड़ियों का नजारा अद्भुत होता है.

कालका-शिमला रेलवे मार्ग विश्व धरोहर घोषित
7 नवम्बर 2003 को रेल विभाग के शताब्दी समारोह कार्यक्रम में पूर्व रेलमंत्री नितीश कुमार ने इस रेलवे ट्रैक को हैरिटेज का दर्जा दिलाने के लिए मामला यूनेस्को से उठाने की घोषणा की थी. जिसके बाद यूनेस्को की टीम ने कालका-शिमला रेलमार्ग का दौरा किया और ट्रैक के हालात का जायजा लिया. सब कुछ देखने के बाद टीम ने कहा कि, दार्जिलिंग रेल सेक्शन के बाद कालका-शिमला एक ऐसा सेक्शन है जो अपने आप में ही अनोखा है. जिसके कुछ सालों और कई प्रयासों के बाद 24 जुलाई 2008 को इसे विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया.

बड़ोग स्टेशन का इतिहास
जब अंग्रेजों ने इस रेलवे ट्रैक पर काम शुरू करवाया तो बड़ोग में एक बड़ी पहाड़ी सामनें आ गई जिसकी वजह से ट्रैक को आगे ले जाने में दिक्कतें होने लगीं. हालात ये बन गए कि अंग्रेजों ने इस ट्रैक को शिमला तक पहुंचाने का काम बीच में ही रोकने का मन बना लिया. जिससे ट्रैक का सारा काम देख रहे कर्नल बड़ोग ये सहन नहीं कर पाये और उन्होंने खुदकुशी कर ली. आज उन्हीं के नाम पर बड़ोग स्टेशन का नाम रखा गया है. सूत्रों के मुताबिक फिर वहां एक बूढ़े बाबा आये और उन्होंने अपनी छड़ी पत्थर पर ठोक ठोक कर बताया की ट्रेक यहाँ से निकालें, जिसके बाद कार्य पूरा हो पाया.

36 साल पुराने इंजन
इस ऐतिहासिक रेलमार्ग पर चलने वाली टॉय ट्रेन के अधिकतर इंजन 36 वर्षों की यात्रा करने के बाद भी सवारियों को ढो रहे हैं. वर्तमान समय में इस रेलमार्ग पर लगभग 14 इंजन पटरी पर दौड़ रहे हैं, जिसमें 10 इंजनों के 36 वर्ष पूरे हो चुके हैं और बचे हुए 4 इंजन भी 20 से 25 वर्ष पुराने हो चुके हैं. अब इन सभी इंजनों को मरम्मत की या नये लगवाने की जरूरत है. टॉय ट्रेन इंजन का जीवनकाल लगभग ३६ वर्ष का ही होता है.

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने चर्चा की
23 जून 2018 को रेल मंत्री पीयूष गोयल शिमला गए थे और उन्होंने शिमला के स्टीम लोकोमोटिव की यात्रा कर इसके हेरिटेज स्टेटस को बनाए रखने, गति बढ़ाने पर रेलवे अधिकारियों से चर्चा की थी. साथ ही इस टॉय ट्रेन में विस्टाडोम कोच यानी पारदर्शी छत और बड़ी खिड़कियों वाला कोच लगाये जाने की संभावनाओं पर भी अधिकारियों से चर्चा की थी ताकि इसे पर्यटन के लिहाज से और बेहतर बनाया जा सके.

ट्रेनों के संचालन का समय
कालका-शिमला रेलमार्ग पर बॉलीवुड की अनेकों फिल्मों के गाने और सीन भी फिल्माये गये हैं. इस रेलमार्ग पर सुबह 3:30 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक कुल 6 ट्रेनों का संचालन होता है. हर साल हजारों सैलानी या पर्यटक शिमला में पहाड़ों की बर्फ का आनंद लेने के साथ-साथ इस रेलमार्ग पर सफर का मजा लेने विशेष रूप से आते हैं.

Web Title : 115 year old beautiful Kalka Shimla railway track
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