ANIMAL REVIEW: फिल्म रिव्यू “एनिमल”

By UltaChashmaUC | December 5, 2023

"एनिमल" के बारे में बताने से पहले एक चीज पानी की तरह साफ कहना चाहूंगा कि इसे कमजोर दिल वाले लोग बिल्कुल ना देखें। हां एक चीज और कहूंगा कि इसे फिल्म का दर्जा किसने दिया, इसे तो वेब सीरीज कहनी चाहिए। गैंग ऑफ वासेपुर को पीछे छोड़ इसने मार-धाड़ से बोल्ड सीन तक सबको पछाड़ दिया। इस फिल्म के जरिए रणबीर कपूर का अबतक का बेस्ट ऐक्टर बाहर निकल कर आया है। हम सब ने अब तक मां पर बहुत सी फिल्में देखी हैं पर आज पहली बार पिता को लेकर इतनी भयावह फिल्म देखने को मिली। पूरी फिल्म में पापा..... पापा... पापा...... का डायलॉग गूंजता रहा। फिल्म एक बंदर की कहानी से फ्लैशबैक में शुरू होती है और अंत भी उसी अंदाज में होता है।

 फिल्म की कहानी
'एनिमल' की कहानी अल्फा किस्म के बंदे से शुरू होती है। अब ये अल्फा कौन है हीरो है या विलेन। ये तो आपको इंटरवल के बाद ही समझ में आएगा। हां, पर एक चीज जरूर कहूंगा कि ये एक फैमिली सुपरमैन है जो अपने परिवार के लिए पूरी दुनिया को तबाह कर सकता है। कुछ ऐसा ही कैरेक्टर है रणबीर कपूर का।  पूरी कहानी बेटे से शुरू होती है और बेटे पर खत्म होती है। अल्फा जो बंदा है वो अपने पिता बलबीर सिंह के प्रेम का भूखा है। उसके पिता ने  काम के आगे अपने बेटे को प्यार ना दे सका और जिसके वजह से वह अल्फा किस्म का व्यक्ति बन गया। उसने एक रात अपने पिता के लिए खत लिखा जिसमें वह बताता है कि आप अगले जन्म में मेरा बेटा बनिएगा तब मैं आपको बताऊंगा कि प्यार कैसे करते हैं और फिर उसके अगले जन्म में मैं आपका बेटा जिससे आप मुझे अच्छे से प्यार कर सकोगे। खैर, फिल्म में रोमांस की बात कर लेते हैं, जिसमें रश्मिका मंधाना नें अपने अभिनय से कई लोगों का दिल चुरा लिया। पहली बार बॉलीवुड में हेलीकॉप्टर में लोगों को रोमांस देखने को मिला वह भी रश्मिका के बोल्ड अंदाज में। इसके बाद वह यूएस चले जाते हैं और एक दिन बलवीर सिंह पर हमला हो जाता है। इसके बाद अल्फा पिता की सुरक्षा के नाम पर कत्ल-ए-आम मचा देता है। ये इस फिल्म की मूल कहानी है। जिसे ढेर सारी हिंसा, अतार्किक किस्म के प्रेम, सनक, ईमानदारी और स्त्री विरोध के जरिए दिखाया गया है।

डायरेक्शन के बारे में
इस फिल्म को संदीप रेड्डी वांगा ने धाकड़ अंदाज में  डायरेक्ट की है पर अंदाज उन्होंने अपनी पुरानी फिल्म कबीर सिंह वाला ही रखा है। कहानी कुछ ज्यादा दमदार नहीं है पर ऐक्शन और फिल्म के गाने ने इसे धाकड़ बना दिया। पहली बार किसी फिल्म में मारधाड़ के साथ गाने का एक्सपेरिमेंट किया है। जहां रणबीर लगभग 300 लोगों को अकेले उड़ा देते हैं और वो भी 500 किलो वाली बंदूक से। तब जाकर इस फिल्म में अल्फा का नाम सामने आता है और वह नाम विजय बलवीर सिंह होता है। निर्देशक वांगा ही इसके एडिटर भी हैं। वे फिल्म की लंबाई कम करके फिल्म को क्रिस्प बना सकते थे। एक्शन दृश्यों में अमित रॉय की सिनेमैटोग्राफी दमदार है। हर्षवर्धन रामेश्वर के बैकग्राउंड म्यूजिक की तारीफ करनी होगी, जो फिल्म की भयावहता को बनाए रखता है। संगीत की बात करें, तो 'सतरंगा', 'पापा मेरी जान', 'सारी दुनिया जला देंगे' जैसे गाने सिचुएशन के मुताबिक अच्छे बन पड़े हैं।

फिल्म में किरदारों के बारे में
अभिनय की बात करें, तो इसे यदि हम रणबीर कपूर के करियर की सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस कहें, तो गलत न होगा। इस हिंसक और विक्षिप्त किरदार को रणबीर ने हर तरह से परतदार बनाया है। मार-काट के दृश्यों में जहां उनकी वहशत झलकती है, वहीं रोमांटिक दृश्यों में वे इरॉटिक अंदाज में दिखते हैं, मगर सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले दृश्य उनके बाप-बेटे के बीच के हैं। क्लाइमैक्स में बाप-बेटे के बीच का दृश्य आपको कराहियत दे जाता है। अपने अभिनय की विशिष्ट शैली से वे दर्शकों को स्तब्ध करते जाते हैं। इस नायक प्रधान फिल्म में रश्मिका अपने आक्रामक तेवरों से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। रणबीर को थप्पड़ मारने वाला दृश्य हो या फिर रणबीर के धोखा दिए जाने के बाद वाला सीन, वे अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाती हैं। गूंगे किलर के रूप में बॉबी भी कम खूंखार नहीं लगे हैं। उनका किरदार कहानी का टर्निंग प्वाइंट साबित होता है, मगर उन्हें फिल्म में काफी कम स्क्रीन टाइम मिला है। इसमें भाभी 2 का किरदार यानी कि जोया का किरदार बाद में अहम भूमिका निभाता है।
अनिल कपूर ने पिता की भूमिका को परतदार बनाया है। साइको बेटे की करतूतों पर उनके चेहरे पर असमंजस और बेबसी के भाव उनके अभिनय के सालों के अनुभव को साबित करते हैं। एक अरसे बाद शक्ति कपूर को पॉजिटिव भूमिका में देखना सुखद लगता है। सुरेश ओबेरॉय और प्रेम चोपड़ा ने अपनी भूमिकाओं में अच्छा साथ निभाया है। उपेंद्र लिमये का किरदार इंटेंस सीन में ह्यूमर लाने का काम करता है। रणविजय की मां बनीं चारू शंकर, बलबीर के दामाद बने सिद्धार्थ कार्णिक, आबिद हक के रोल में सौरभ सचदेवा और रणविजय की बहनों के चरित्रों में सलोनी बत्रा और अंशुल चौहान ने भी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। आखिर में फिल्म ने एक बहुत बड़ा सस्पेंस छोड़ा है जिसे आपको उसके अगले पार्ट में देखने को मिलेगा। थिएटर से निकलते समय केवल एक ही चर्चा हो रहा था कि  अब अगले पार्ट रणबीर क्या नया ट्राई करेंगे। ये तो आपको अगले पार्ट में देखने को मिलेगा।

फिल्म में कमियां
देखिए कुल जमा बात ये है कि 'एनिमल' क्रिटिक्स और रिव्यू प्रूफ फिल्म है। संदीप रेड्डी वांगा ने वो फिल्म बनाई है, जो वो बनाना चाहते थे। इसमें तमाम खामियां हैं। एक लाइन की स्टोरी है। इमोशनल डेप्थ नहीं है। मिसोजिनी का छिड़काव रही-सही कसर पूरी कर देता है। इन वजहों से इसे एक संजीदा फिल्म नहीं कहा जा सकता। बावजूद इसके 'एनिमल' आपको बोर नहीं करती। इसे खालिस एंटरटेनमेंट के मकसद से देखा जाना चाहिए। सिनेमा मानकर, उससे ज़्यादा अगर आप कुछ एक्स्पेक्ट कर रहे हैं, तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है।

ऐक्टर: रणबीर कपूर,अनिल कपूर, रश्मिका मंदाना, बॉबी देओल, शक्ति कपूर, तृप्ति ड‍िमरी, सुरेश ओबेरॉय, प्रेम चोपड़ा, उपेंद्र लिमये
डायरेक्टर : संदीप रेड्डी वांगा
प्रकार: Hindi, Action, Drama, Romance
समय: 3 Hrs 21 Min
RATING: 4/5

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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