कांवड़िए सावन में ही क्यों गंगा जल भरने जाते हैं ? सावन में शिव पर जल ही क्यों चढ़ाते हैं ?..ये है वैज्ञानिक कारण

  • क्या आपने सोचा है कि पहला कांवड़िया कौन था ?

  • किसने कांवड़ यात्रा शुरू की थी ?

  • कांवड़ यात्रा का इतिहास क्या है  ?

  • कांवड़ यात्रा क्यों होती है ?

सावन के महीने में आपको सड़क पर भोले के भक्त दिखाई देने लगते हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि कांवड़िए बरसात के सीजन में यानी सावन में क्यों निकलते हैं..और एक बोतल में गंगाजल भरकर शिवजी के मंदिर की तरफ क्यों चल पड़ते हैं. सावन में शिवलिंग पर केवल जल ही क्यों चढ़ाया जाता है. इन सब सवालों के जवाब दिए जाएंगे
सावन में कांवड़ ले जाता भक्त
सावन में कांवड़ ले जाता भक्त

 

कांवड़ सावन मे ही ले जाने के पीछे मान्यता ये है कि इस महीने में समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था. दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने इस विष का पान कर लिया था. विष को गले में रोकने के कारण शिव का शरीर जलने लगा. जब देवताओं ने भगवान शिव के शरीर को जलते देखा तो उन पर पानी डालना शुरू कर दिया. पानी डालने से भगवान शिव का शरीर ठंढ़ा हो गया. विष उनके भीतर ही रहा लेकिन उनको उस जलन से राहत मिल गई.
सावन में कांवड़ ले जाता भक्त
सावन में निकली शिव की सवारी
उसके बाद से ही सावन के महीने में भगवान शिव जी पर जल चढ़ाया जाता है. पहले देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया. उसके बाद भगवान शिवजी के भक्त उन पर जल चढ़ाने लगे. कांवड़ के बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ से गंगा का पवित्र जल भगवान शिवजी पर चढ़ाने गए थे उसके बाद से ही भगवान शिवजी पर सावन के महीने में जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई.और भोले के भक्त जयकारों और नारों से एक दूसरे का उत्साह बढ़ाते हुए..भोले के नजदीकी मंदिर में कांवड़ में भगवान की मूर्ति रखकर और उसमें गंगा जल रखकर जाते हैं.
सावन में कांवड़ ले जाता भक्त
सावन में कांवड़ ले जाता भक्त
भक्त मन्नत मानते हैं और अपनी श्रद्धा के मुताबिक कांवड़ लेकर जाते हैं. कावड़ का मतलब होता है कावर यानी कंधा..शिव भक्त कंधे पर पवित्र जल का कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. कावड़ को पैदल लेकर चलते हैं इसके पीछे वैज्ञानिक रीजन भी है..लंबी कावड़ यात्रा से हमारे मन में संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास जागता है..हम अपनी क्षमताओं को पहचान सकते हैं..अपनी शक्ति का अनुमान भी लगा सकते हैं. कहते हैं जब सारे देवता सावन में सोते हैं तो भोलेनाथ का अपने भक्तों पर आसानी से बहुत प्यार लुटाते हैं..