यूपी (Uttar Pradesh) में अपराध इतना कम हो गया है कि पुलिस (Police) खुद हत्या कर रही है : संपादकीय व्यंग्य Gorakhpur Manish Gupta Case

Gorakhpur Manish Gupta Case : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का न्याय शास्त्र गांगा में बहा दिया गया है..कानून व्यवस्था को खुद ठोको पॉलिसी (Police) बेचने वालों ने सूली पर चढ़ा दिया है..और जिस राज्य से दोनों चीजें खत्म हो जाएं वो नगरी अंधेर नगरी हो जाती है..और वहां का राज जंगल राज हो जाता है..बिल्कुल सही कह रही हूं..पहले तो होटल में सोते व्यापारी को मार दिया..फिर व्यापारी की विधवा से जान की कीमत ऐसे तय करने लगे जैसे सब्जी मंडी में आलू के रेट तय किये जाते हैं….
जब मैं ये वीडियो बना रही हूं..तब व्यापारी मनीष गुप्ता के हत्यारे पुलिस वाले 6 में से एक को भी अब तक नहीं पकड़ा गया है..यहां अपराध इतना कम हो गया है कि पुलिस (Police) को खुद मर्डर करने पड़ रहे हैं..ये है यूपी (Uttar Pradesh) की कानून व्यवस्था.एक .व्यपारी की हत्या खुद पुलिस वालों ने की और और उनको अब तक गिरफ्तार तक नहीं किया गया..हजार ठोकरें खाने के बाद पुलिस ने एफआईआर लिखी..अफआईआर लिखी तो समझौते का दबाव बनाने लगे..और देखिए सरकार क्या कर रही है..इतनी कड़क सरकार है..लेकिन अब तक कुल जमा..बर्खास्तगी ही कर पाई है..सरकार कहती ही है सारे गुडें माफिया यूपी छोड़कर चले गए हैं..तो हत्या के आरोपी पुलिस वाले भी यूपी छोड़कर चले गए होंगे..
अरे किसी की हत्या की सजा बर्खास्तगी होती है क्या..बड़ा कानून कानून किया जाता है..ये है कानून..जिस पुलिस के बारे में इतनी बड़ी बड़ी डींगे हांकी जाती हैं..वो छोटे से गोरखपुर में हत्या के आरोपी पुलिस (Police) वालों को नहीं पकड़ पा रही है..और सुनिए कहानी यहां खत्म नहीं होती है..जिस औरत के पति को रात के अंधेरे में बिना किसी गुनाह के पुलिस वालों ने मार दिया..कहानी बनाई कि व्यापारी गुप्ताजी की मौत गिरने से हो गई है..
मिस्टर एसपी जब तुमने ये बता दिया कि हड़बड़ाहट में गिरकर मौत हो गई थी..तो अब हत्या की FIR कौन सी खुशी में दर्ज कर ली है..और हत्या को आरोपी पुलिस (Police) वाले फूफा की शादी में नाचने भाग गए हैं जो नहीं पकड़ पा रहे हो..उल्टे मर चुके मनीष गुप्ता की विधवा से समझौता करने का दबाव बना रहे थे..ये हड़बड़ाहट वाले कहानीकार एसपी और डीएम कहते हैं..कोर्ट कचहरी के चक्कर में ना पड़ो यहीं निपटा लो..
जो वसूलीखोर पुलिस (Police) वाले हत्या के आरोपी हैं उनको तो सजा हो ही..और इन जैसे कहानीखोर एसपी को नौकरी छुड़ाकर मुंबई भेज देना चाहिए फिल्मों की कहानी अच्छी लिखेंगे..पर समझ रहे हैं..इनके कहने का मतलब..आदलतों के जजों को अपने काले कोट उतारकर फेंक देने चाहिए…कोर्ट में ताला लगा देना चाहिए..और चाबी गोरखपुर के एसपी और डीएम को पकड़ा देनी चाहिए..एसपी विपिन टाडा तो एलिजिबल कैंडीडेट भी हैं..बीजेपी के पूर्व मंत्री सतपाल सिंह के दामाद हैं..रहे डीएम साहब तो गोरखपुर का डीएम आधा मुख्य्मंत्री तो होता ही है..उस पर कौन उंगली उठाने की हिम्मत कौन कर सकता है..
जिनको कहानी समझ में नहीं आई उनको फिर बता देती हूं. कानपुर के एक व्यापारी ने योगी राज में गोरखपुर के विकास के किस्से खूब सुने थे..उसने अपने दोस्त को लिया और गोरखपुर दर्शन के लिए आ गया..रात में कृष्णा पैलेस नाम के होटल में रुका..पुलिस होटल पर दबिश देने पहुंच गई..व्यापारी मनीष गुप्ता का दरवाजा खटखटाया रात के साढ़े 12 बजे थे..मनीष ने पूछा क्यों क्या बात है भाई क्या चाहिए..पुलिस वालों ने बोला तलाशी लेनी है..पुलिस ने तलाशी ली..कुछ नहीं मिला मनीष गुप्ता ने कहा हम कोई आतंकी थोड़े हैं जो हमारी तलाशी लेने आ गए..देखा कुछ नहीं मिला..
बस इतना कहने पर यूपी की दूसरी अघोषित राजधानी गोरखपुर की पुलिस ने मनीष गुप्ता को पीट पीटकर मार डाला..मनीष गुप्ता को योगी जी की ठोको पुलिस ने ठोक दिया..दोस्तों ये इतिहास में पहली बार होगा कि गोरखपुर का विकास देखने गए व्यापारी को रात में सोते से उठाकर मार दिया गया..क्योंकि सूत्र बताते हैं कि पुलिस होटलों में चेकिंग के नाम पर लोगों को डराकर उगाही का रैकेट चलाती थी..दोस्तों इस वीडियो में इतना ही..इस कठिन दौर में सच को और सामर्थ्य देने के लिए मुझे ट्विटर पर @PRAGYALIVE नाम से खोजकर फॉलो जरूर करें..साथ आएंगे तो सच और मजबूत होगा..मेरा चैनल है YFC न्यूज इसकी जिम्मेदारी मैं जल्दी ही फुल फ्लैश किसी को सौंपने वाली हूं इसकी घोषणा जल्द करूंगी…वहां कंटेंट अभी ज्यादा नहीं है आप चाहें तो सब्सक्राइब कर सकते हैं..जल्द वहां भी कुछ अच्छा कुछ सच्चा देखने को मिलेगा…
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.