बीजेपी में शामिल होंगे शिवपाल ? एक्शन के बजाए घर-घर क्यों खेल रहे हैं अखिलेश

 SHIVPAL YADAV SAMAJWADI MORCHA – क्या शिवपाल यादव देर सबेर बीजेपी में शामिल होंगे. बीजेपी में शामिल होने की बातों को शिवपाल ने नकारा भी नहीं है. शिवपाल से पूछा गया कि क्या आप बीजेपी में जा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ अभी हुआ नहीं हैै. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का पहली बैठक होगी उसके बाद जो लोग बोलेंगे वैसा देखा जाएगा. इसके मायने कई हैं. संकेत कई हैं.
बीजेपी में शामिल होंगे शिवपाल ?
बीजेपी में शामिल होंगे शिवपाल ?
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15 दिन पहले शिवपाल यादव का यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करना. फिर अचानक अमर सिंह का अखिलेश के खिलाफ रायता फैला देना. फिर पंखुड़ी पाठक का खुद को ब्राम्हण बताते हुए सपा से से इस्तीफा दे देना. उसके बाद शिवपाल को अचानक अपना सम्मान याद आ जाना. फिर अमर सिंह का ये कहना कि शिवपाल यादव बीजेपी में जाने वाले थे. यानी अमर सिंह, पंखुड़ी पाठक, और शिवपाल यादव, इन तीनों में से कोई बीजेपी के खिलाफ नहीं है. जिनमें से अमर सिंह बीजेपी के पक्के सपोर्टर हैं.
टाइमिंग पैदा करती है संदेह
टाइमिंग देखिए 2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शिवपाल यादव और अखिलेश यादव का गदर शुरू हो गया था. और अखिलेश के मुताबिक उस गदर के पीछे अमर सिंह का हाथ था. उसके बाद समाजवादी पार्टी ने अब तक की सबसे बुरी हार देखी. अब फिर से टाइमिंग देखिए 2019 का चुनाव आने वाला है. अमर सिंह के एक्टिव होने के बाद चुनाव से ठीक पहले शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाकर और उसका अध्यक्ष बनकर कलह का भोंपू फिर से बजा दिया है.
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शिवपाल के दोस्त अमर सिंह कहते हैं शिवपाल बीजेपी में शामिल होने वाले थे. शिवपाल कहते हैं बीजेपी से उनका कोई लेना देना नहीं है. लेकिन शिवपाल ये नहीं कहते की अमर सिंह झूठ बोल रहे हैं. मतलब अमर सिंह की बातों में कुछ सच्चाई तो है. अब जंग असली समाजवादी होने की छिड़ गई है. शिवपाल समझते हैं असली समाजवाजी छाप मार्का उन पर लगा हुआ है. जनता उनकी तरफ मधुमक्खी की तरह भिनभिनाती हुई आ जाएगी. अखिलेश मानते हैं कि युवा शक्ति के हाथों में पार्टी होनी चाहिए. और मायावती के साथ मिलकर वो बीजेपी से टक्कर ले लेंगे.
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राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश खुद घर-घर खेल रहे हैं
ये लड़ाई सिर्फ चाचा भतीजे की नहीं है. इसमें अखिलेशवादी, शिवपालवादी, यानी तरफ के समाजवादी युवा पिस रहे हैं. जो समाजवादी विचारधार से प्रभावित होकर पार्टी में आए थे. अखिलेश को अगर प्रार्टी में अनुशासन बनाए रखना है तो समय एक्शन लेने का है. अगर पार्टी का कोई भी विधायक पार्टी विरोधि गतिविधि में शामिल है तो उसके खिलाफ एक्शन लेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का अधिकार है. लेकिन अखिलेश घर-घर खेल रहे हैं.
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अखिलश को अगर पार्टी आगे बढ़ानी है तो अपनी आंखों से रूठो मनाओ छोड़कर और चाचा के प्रति सहानुभूति का चश्मा उतारना होगा. चित भी मेरी पट भी मेरी और सिक्का नेताजी का. इस तरह की सोच से अगर अखिलेश सोचते हैं कि बीजपी से लोहा ले लेंगे तो उनकी गलत फहमी है. क्योंकि बीजेपी यूपी में अब वो 10 सीटों वाली पार्टी नहीं है. बल्कि 71 सीटों वाली शक्तिशाली दल है. घर-घर का खेल जल्द बंद नहीं हुआ तो बीजेपी को आसानी से 2017-2014 दोहराने में कोई नहीं रोक सकता.