हाय दईया.. DM CM से उलझ गया..
ऐसी मर्दों वाली हिम्मत पहली बार किसी डीएम ने दिखाई की भरी मीटिंग में मुख्यमंत्री को जवाब दिया हो और फिर मीटिंग में ही मुख्यमंत्री ने फटाकारा हो. फिर डीएम ने कहा हो कि मैं नोएडा में काम नहीं करना चाहता. फिर उसी मीटिंग के बाद डीएम को हटा भी दिया गया हो.

ज्यादा मत सोचिए मामला कोरोना से ही जुड़ा है. नोएडा यानी गौतमबुद्धनगर यूपी का सबसे ज्यादा कोरोना ग्रस्त जिला है. यहां से भारी संख्या में कामगार लॉकडाउन के बावजूद पलायन के लिए गांव की तरफ भागने लगे. मजदूरों या प्रवासियों के पलायन से यूपी सरकार के ऑपरेशन कोरोना में भयंकर दिक्कत आई. कुछ दिनों तक तो सरकार को ये समझ में ही नहीं आ रहा था कि कोरोना से लड़ा जाए या मजदूरों के पलायन वाले संकट को सॉल्व किया जाए.
योगी आदित्यनाथ भयंकर नाराज थे. खुद ही लखनऊ से नोएडा पहुंच गए. वहां अधिकारियों की मीटिंग ली. डीएम से जवाब मांगा तो डीएम साहब ने कहा 3 साल से नोएडा में हूं जी. 18-18 घंटे काम कर रहा हूं. और क्या करूं. बस फिर क्या था. योगी जी ने कहा ‘आपकी आदत बहुत खराब है, काम करते नहीं हैं, लेकिन आवाज बहुत ज्यादा निकालते हैं. दो महीने से क्या कर रहे थे आप लोग? कंट्रोल रूम के लिए तो मैंने बहुत पहले ही कहा था. अब तक कंट्रोल रूम क्यों नहीं शुरू हुआ है यहां पर?
बीच में बेचारे डीएम साहब फिर कुछ बोलना चाह रहे थे लेकिन योगी जी लॉकडाउन में फैली अव्यवस्था से भयंकर नाराज थे. कहा ‘बकवास बंद करो अपनी ये बकवास करके आप लोगों ने माहौल खराब किया है यहां पर जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की बजाय एक दूसरे के ऊपर चीजें डालना आता है बस. दो महीने पहले अलर्ट जारी किया था हम लोगों ने यहां पर लेकिन फिर भी कुछ नहीं कर पाए
देखिये योगी जी की नाराजगी सही भी है. आप पूछेंगे वो क्यों क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारी में थी थाली वाली बज चुकी थी. लॉकडाउन हो चुका था. लेकिन बीच में मजदूरों के पलायन ने सब गड़बड़ कर दिया. हर अधिकारी ऊल जलूल तरीकों से अपनी ढपली अपना राग बजाता रहा. जैसे कहा गया लॉकडाउन है घरों पर रहें लेकिन प्रशासन मजदूरों को घरों में रोकने में नाकाम रहा. उधर यूपी की आधी पुलिस बैरिकेटिंग पर मजदूरों को मुर्गा बना रही थी. लाठी चला रही थी. दूसरी तरफ कुछ बैरिकेटिंग्स पर पुलिस वाले मसीहा बन रहे थे. उनको दाल भात खिला रहे थे. पानी पिला रहे थे पुण्य लूट रहे थे.
उसके बाद सरकार से मजदूरों का दर्द देखा नहीं गया एक हजार बसें चलाने का आदेश दे दिया. जो मजदूर घरों में रह गए थे उन्होंने सोच ये सुनहरा मौका है अपने घर निकल चलो. बसें चल ही रही थीं कि फिर कहा गया सीमाएं सील हैं. तो लॉकडाउन को लॉकडाउन की तरह लिया नहीं गया. दया भी दिखाई गई. और पुलिस ने दरिंदगी भी दिखाई.
आखिर में कहने का मतलब ये है कि नोएडा के डीएम को हटा दिया गया. उनकी जगह सुहास एलवाई को नोएडा का डीएम बना दिया गया है. बीएन सिंह राजस्व विभाग में अटैच कर दिए गए हैं. लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि अमीरों की करनी गरीबों को भरनी पड़ रही है. वो हवाई जहाज से कोरोना ले आए अब गरीब पैदल मारा मारा फिर रहा है. सीमाएं सील हैं. गरीब बेचारा ताल तलैया नदी पोखर तालाब पार करते हुए घरों की तरफ भाग रहा है.