क्या अब प्रधानमंत्री के रोने से नाकामी छिप जाएगी ? संपादकीय व्यंग्य
कोरोना कांड में तो कर नहीं सकते थे..फिर योगी जी की तारीफ के लिए मोदी जी ने इंसेफ्लाइटिस का सहरा लिया
अब रो पड़े प्रधानमंत्री..बंगाल की रैलियों के वक्त नहीं समझे थे..
प्रधानमंत्री मोदी बनारस में डॉक्टरों से बात करते करते..भावुक हो गए..बंगल की रैलियों के समय मान जाते तो अब रोना नहीं पड़ता..अगर तब सचेत होते..तोअब लाखों आत्माओं को श्रद्धांजलि नहीं देनी पड़ती..ये प्रधानमंत्री जी का फैलाया हुआ रैली कोरोना है..जिस पर आज रो रहे हैं…अपने वो सारे वीडियो निकालकर आपको दिखाए जा सकते हैं..जिसमें देश कहता रह गया कि गई कोरोना के टाइम पर मोदी जी की ये रैलियाां लाखों लोगों की जान ले लेंगी लेकिन प्रधानमंत्री जी ने सुना ना उनकी कैबिनेट ने..ना नेतओं ने..
जहां बीमार वहां उपचार का नया नारा..
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कि जहां बीमार वहां उपचार..हमें इस मंत्र पर चलना होगा..सुनने में कितना अच्छा वाक्य लगता है..बीमार और उपचार..अनुप्रास अलंकार से सुशोभित हैं..लेकिन देश ने जहां बीमार वहां लाशों के अंबार देखे हैं..जहां बीमार वहां मांस नोचने को कुत्ते तैयार देखे हैं..देश ने जहां बीमार वहां हाहाकार देखा है..इन सब के बाद आपने जहां बीमार वहां उपचार..ये बताने में बहुत देर कर दी है…
बातों के बताशे बनाने में देश पहले से बहुत आगे था..अगर ऐसा ना होता तो भले ही लोग प्राकृतिक आपदाओं और महामारियों में मरते लेकिन उनको ऑक्सीजन मिलती..उनको अस्पताल मिलते उनको बेड मिलते..उनको इंजेक्शन मिलते..उनको श्मसान मिलते..हम अपनी सारी नाकामियां..कोरोना नरसंहार..बातों के बताशों के पीछे ही तो छिपाते आए हैं..
तुम मेरी तारीफ करना मैं तुम्हारी तारीफ के कसीदे पढ़ूंगा लोगों को लगेगा सब चंगा है…
मोदी जी ने कहा उन्होंने यूपी के मुख्यसचिव आरके तिवारी जी से पूछा कि कोरोना के लिए क्या कर रहे हैं तो उन्होंने बहुत डीटेल में अपनी तैयारियों के बारे में बताया मोदी जी को बहुत अच्छा लगा..मैं पूछती हूं..मोदी जी यूपी के मुख्यसचिव तिवारी जी ने बताया और आपने मान लिया..और आपको काफी अच्छा भी लगा..क्या आपने तिवारी जी से पूछा कि ओ तिवारी जी..लखनऊ श्मसान घाट कैसे बन गया..जब इतना अच्छा काम किया है तो..श्मशान में लाशों की जगह कैसे कम पड़ गई..
क्यों अस्पतालाों के बाहर लोग तड़प तड़पकर मर गए..तिवारी जी ने बता दिया और आपको अच्छा लग गया..क्या आपको मालूम है कि जिस लखनऊ में तिवारी जी का दरबार है…वहां कितने लोगों की मौत हुई..आप पूछते तो पता चलता..तिवारी जी ने कितना तगड़ा काम करके दिखाया है..तारीफ के बदले तारीफ सुनने का खेल बंद कीजिए..देश अब भी तड़प रहा है..तिवारी से नहीं शमसान के अधिकारी से पूछिए कितना अच्छा काम हुआ है..
कोरोना कांड में तो कर नहीं सकते थे..फिर योगी जी की तारीफ के लिए मोदी जी ने इंसेफ्लाइटिस का सहरा लिया
मोदी जी ने ये भी कहा कि यूपी में इंसेफ्लाइटिस नाम की बीमारी हर साल हजारों बच्चों की जान लेती थी..लेकिन योगी जी की सरकार ने सब कंट्रोल कर लिया ऐसे ही कोरोना कंट्रोल कर लेंगे योगी जी..पहले बहुत बच्चे मरते थे योगी जी फूट फूटकर रोते थे..लेकिन जब से उनकी सरकार आई है तब से बीमारी पर कंट्रोल कर लिया है..मैं बताना चाहती हूं..सर जैसे गंगा में भले ही हजारों लाशें उतराती रहीं..भले ही श्मसान फुल रहे लेकिन सरकार और श्मसान के आंकड़े अलग अलग ही रहे…श्मसान कहता 80 सरकार कहती 20..
उसी तरह पूर्वांचल में इंसेफ्लाइटिस से कभी सरकारी आंकड़ों में द वायर की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2010 के बाद से हजारों बच्चों की मौत नहीं हुई..2010 में 553 मरे, 2011 में 606 मरे..2012 में 580 मरे..साल 2013 में 656 मरे..साल 2014 में 661 मरे..2015 में 521 मरे..साल 2016 में 694 मरे..अंकड़े छिपाने में पिछले वाले आज के कोरोना वालों की तरह ही थे शायद..और उसके बाद आ गया 2017 तब से राम राज का उदय हुआ..मरे उसके बाद भी लेकिन राम राज में मरना मरना कहां माना जाता..मोक्ष में गिना जाने लगा..बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीन कांड को भी मोक्ष का द्वार मानिए..और डॉ. कफील खान को उसका दरबान..
पिछली सरकारों में जो हुआ नेताओं को उसे बढ़ा चढ़ाकर कहने में मजा आता है..मोदी जी को हजारों का उच्चारण करने में अच्छा लगता है..लेकिन एक साल में हजारों का आंकड़ा सरकारी रजिस्टरों में दर्ज ही नहीं हुआ…इंसान के नाते मोदी जी ठीक कह रहे हैं मरते हजारों ही होंगे लेकिन उनकी ही सरकार की तरह दूसरी सरकारों को भी आंकड़े छिपाने का मंत्र मालूम होगा..योगी जी के संसद में फूट फूटकर रोने की वजह को मोदी जी ने पिछली सरकारों में हुई बच्चों की मौत बताया..लेकिन हम लोगों की जानकारी कहती है कि वो अपने ऊपर लगे मुकदमों की वजह से रो रहे थे..2006 के दंगों में उनको 12 दिन जेल में रहना पड़ा था..अपनी सुरक्षा के लिए लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के आगे रोए थे..
दोस्तों योगी जी को बच्चों की मौतों से चिंता होगी..लेकिन जिस फूट फूटकर रोने की बात मोदी जी करते हैं..उसका एकमात्र वीडियो यही है..सार्वजनिक तौर पर वो अपने लिए ही रोए थे..बाकी रोने का क्या है कोई कभी भी रो सकता है..संसद में रोना जरूरी थोड़े है..मोदी जी के मुताबिक योगी जी बहुत संवेदनशील थे लेकिन योगी जी की ही सरकार में उनके ही स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पूर्वाचल में बच्चों की इंस्फ्लाइटिस से हो रही मौतों का आंकड़ा गिनाते हुए बताया था कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही है…खैर दोस्तों चलते हैं राम राम दुआ सलाम जय हिंद..
सवाल Q- 1- वाराणसी में प्रधानमंत्री क्यों भावुक हुए ? Why did the Prime Minister get emotional in Varanasi?
जवाब- Ans- 1- डॉक्टरों से संवाद करते समय कोरोना में मारे गए लोगों को याद करके भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए ?
Prime Minister of India, Narendra Modi became emotional by remembering the people Death in Corona while communicating with the doctors.
सवाल- Q- 2 बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या नारा दिया ? What slogan did Prime Minister Narendra Modi give in Benaras
जवाब- Ans- 2- बनारस में प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ाई में नया नारा दिया कहा जहां बीमार वहां उपचार. In Benaras, the Prime Minister gave a new slogan in the fight with Corona, where the sick got treatment there
DISCLAMER- लेख में प्रस्तुत तथ्य/विचार लेखक के अपने हैं. किसी तथ्य के लिए ULTA CHASMA UC उत्तरदायी नहीं है. लेखक एक रिपोर्टर हैं. लेख में अपने समाजिक अनुभव से सीखे गए व्यहवार और लोक भाषा का इस्तेमाल किया है. लेखक का मक्सद किसी व्यक्ति समाज धर्म या सरकार की धवि को धूमिल करना नहीं है. लेख के माध्यम से समाज में सुधार और पारदर्शिता लाना है.
जिद्दी स्वभाव लगता है।
आपने अपनी बेशकीमती राय..इस आर्टिकल पर दी है इसके लिए मैं प्रज्ञा मिश्रा..आपका धन्यवाद देती हूं..अगर आप कुछ पूछना चाहते हैं या सुझाव देना चाहते हैं..तो किसी भी आर्टिकल में कमेंट करके..बता सकते हैं कमेंट का नोटिफिकेशन मुझे पर्नली मेल के जरिए आवश्यक तौर पर प्राप्त होता है..अगर आप किसी विषय पर अपना लेख इस वेबसाइट पर लगवाना चाहते हैं तो हमें भेज सकते हैं..धन्यवाद..
Imosanal drama nahi chalega publice sab dekh raha hai
मोदी लालबुझक्कड़ से कम नहीं है
एक गांव में लाल बुझक्कड़ नाम के व्यक्ति को लोग ज्यादा बुद्धिमान समझकर हर शंकाओं का समाधान करवाते थे। एक रात उस गांव से हाथी गुजरा लोग सुबह पैर के निशानों को देखकर लाल बुझक्कड़ से पूछे। पर हर बार की तरह लाल बुझक्कड़ का एक ही शर्त होता था की उनसे पूछने के बाद वह किसी और से नहीं पूछे।
जवाब दिया कि –
लाल बुझक्कड़ बूझ के , और न बूझो कोय,
पैर में चक्की बांध के, हिरना कूदो होय।।
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धन्यवाद प्रज्ञा जी। वर्तमान स्थिति और व्यवस्था पर आपके विचार और विश्लेषण की मैं प्रशंसा करती हूं।जब सब राजा के यशोगान में लगे हैं तब ऐसे समय में आप सच्चाई के साथ खड़ी हो कर सरकार की गलत नीतियों और व्यवस्था प्रणाली पर प्रश्न पूछने की हिम्मत दिखा रही हो। आपके साहस को सलाम।कम से कम कोई तो है जो समाज के सत्य के साथ है शायद इससे ही किसी नेता को शर्म आए और हमारे system मे कुछ सुधार हो सके।
लेख पर आपकी बेशकीमती राय के लिए शुक्रिया..बेशकीमती इसलिए क्योंकि अपना ईमेल भरकर नाम भरकर..अगर आपने अपनी राय रखी है तो आप हमारे अमूल्य और सीरियस पाठक हैं. भविष्य में भी हमें आपकी राय आपके विचारों का इंतजार रहेगा..धन्यवाद..
Aapka ye pic bahut achha laga ✍🏻 kajal dono palko pe sahi lagta hai ✍🏻
ओके..शुक्रिया..
हम Gyan Kosh youtube चैनल से हैं। हम कई साल से आपको फॉलो कर रहे हैं, हम एक बार आपका interviwe लेना चाहते हैं। Please reply जरूर करिएगा ।
जरूर मैं टीम को बोल देती हूं..वो आपसे संपर्क जरूर करेंगे..
सराहनीय कार्य,,,,,,, आज के इस कठिन समय मे जहाँ लोगो मे सरकार से सवाल करने की हिम्मत नही वहां आप निडरता के साथ लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बचाने मे प्रयासरत हैं,,,,, हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है ईश्वर आपको यूही स्वस्थ और दीर्घ आयु प्रदान करने की कृपा करें,,,, 🙏🙏🙏
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पीएम को रोने से क्या हिंदुस्तानी से मौत का दाग़ धो जायेगा?????
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पीएम मोदी सात सालों मे कितना बार प्रेस कॉन्फ्रेंस किया????? क्या पीएम प्रेस कॉन्फ्रेंस से डरते हैं????
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