क्या लखीमपुर कांड (Lakhimpur Case) पर मोदी जी ज्ञान देकर चले गए..ना मंत्री को हटाया..ना दुख जताया : संपादकीय व्यंग्य.

बहुत दिन से लोग कह रहे थे…कि लखीमपुर (Lakhimpur Case) में इतनी बड़ी बर्बर घटना हुई है..मोदी जी के अपने मंत्री ने भड़काया..मंत्री जी के अपने लड़के ने किसानों को रौदवा दिया..या रौंद दिया..लेकिन मोदी जी…शाह जी..नड्डा जी वगैरह सब ऐसे चियाकर बैठ गए..जैसे वो भारत के नहीं हुलूलूलू..के राष्ट्रअध्यक्ष हो गए हों..कुत्ते का पिल्ला गाड़ी के नीचे आ जाए तो दर्द होता है..सौरभ गांगुली की उंगली में चोट लग जाती है तो बोलते हैं..
लेकिन इनका अपना खुद का मंत्री लखीमपुर कांड में इन्वॉल्व है लेकिन ना उससे इस्तीफा लेते हैं ना ही इस कांड की निंदा करते हैं..कहते हैं जिन गलत कामों का आप विरोध नहीं करते हैं..वो मौन सहमती ही होती है..खैर ऐसा नहीं है..मोदी जी बोले हैं..लखीमपुर नहीं मानवाधिकार पर बोले हैं..बाकी अपने हिसाब से जहां सही समझिए लगा लीजिए..
हमारे मोहल्ले के मुन्नीलाल फोटो स्टूडियो वाले की छत बारिश में टपकती है लेकिन फिर भी उसकी फोटो इतनी जल्दी खराब नहीं होती..जितनी तेजी से बीजेपी राज में देश की छवि खराब हो जाती है..बीजेपी के पक्ष में कोई चीज ना हो तो तुरंत मिनट से पहले छवि खराब होती है..और कोई ना कोई देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है..मोदी जी भी एक घटना की तुलना किसी दूसरी घटना से कर रहे हैं..
कह रहे हैं किसी घटना को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए..राजनीति का सलेक्टिव व्यहवाह देश के लिए खतरा है..मोदी जी ने खोलकर कुछ नहीं बताया लेकिन उनके प्रवक्ता डॉक्टर साहब ने सब खोल दिया..अपनी सलेक्टिव राजनीतिक गाड़ी लेकर निकले लखीमपुर (Lakhimpur Case) पर ब्रेक मारा…और बताने लगे कि लखीमपुर पर कांग्रेस राजनीति कर रही है..ये लोग राजस्थान में हो रही घटनाओं पर कुछ क्यों नहीं बोलते.
समझ रहे हैं..मोदी जी दूसरों को तो सलेक्टिव होने का ज्ञान दे रहे हैं लेकिन वो ज्ञान अपने पर अप्लाई नहीं कर रहे हैं..शुरुआत खुद से कीजिए..सामने आईये और कहिए कि उत्तर प्रदेश के बीजेपी राज में मेरे मंत्री के बेटे ने जो किया (Lakhimpur Case) है या करवाया है वो निंदनीय है..मोदी जी से निंदा तक नहीं करी गई अब और दूसरों को ज्ञान देते हैं..मोदी जी खुद सलेक्टिव नहीं हैं क्या..
आप बताईये अगर मैं गलत कह रही हूं..कांग्रेस बीजेपी शासित राज्यों में हुई घटनाओं का रोना रोती है तो बीजेपी को सांप सूंघ जाता है..और बीजेपी कांग्रेस कांग्रेस शासित राज्यों में घटनाओं पर छाती पीटती है तो कांग्रेस को सांप सूंघ जाता है..मोजी जी ये खेल कौन खेलता है..आपकी बीजेपी खेलती है..और कांग्रेस खेलती है..तो जिम्मेदारी लेने की शुरुआत कौन करेगा…
मोदी जी या तो आप करेंगे या प्रियंका जी या राहुल जी करेंगें..क्योंकि करना तो आप लोगों को ही पड़ेगा..ये ज्ञान आपको ही अप्लाई करना पड़ेगा ना..ये ज्ञान ना प्रज्ञा मिश्रा पर अप्लाई होगा ..ना रामू..रिंकी..फातिमा..रेहान या कालेखान पर अप्लाई होगा..तो जिस चीज का सुधार आपको खुद करना है..उसका ज्ञान दूसरों को देने का कोई मतलब नहीं है..कांग्रेसियों को बुलाईये..बैठिए और एक दूसरे को ज्ञान दीजिए..दोस्तों भारत में यही होता है दूसरे को ज्ञान देना बहुत आसान है लेकिन अपने में सुधार कोई नहीं करेगा..हर आदमी समझता है वो तो दूधा का धुला है..सामने वाला गलत है..
मोदी जी सलेक्टिव होने की बात करते हैं ना तो कुछ दिन पहले वाले बंगाल की बात बताती हूं.. बंगाल चुनाव के बाद हिंसा हुई..लोग मारे गए..बीजेपी कार्यकर्ता भी मारे गए..इसी बीजेपी ने आसमान सिर पर उठा लिया..ऐसे ऐसे फेक फर्जी और घरेलू हिंसा के विडियो फैलाए की दुनिया को लगने लगा कि बंगाल अफगानिस्तान बन गया है..
और वहां तालिबान उतर आया है..यहां तक कि आजतक न्यूज चैनल के पत्रकार को भी मरा हुआ बता दिया..कहा ममता के गुंडों ने मार दिया..फिर पत्रकार सामने आया बोला एक्सक्यूजमी मिस्टर पात्रा आईएम पत्रकार गोदी मीडिया हूं तो क्या हूं..जिंदा हूं..आरोप लगाने के लिए मार ही दोगे क्या…फिर उत्तर प्रदेश में हुआ लखीमपुर कांड (Lakhimpur Case) ..
लखीमपुर (Lakhimpur Case) में मोदी जी के मंत्री के लड़के पर आरोप लगा कि उसने अपनी जीप से कुचलकर 4 किसान मार दिए…2 बीजेपी कार्यकर्ता भी मरे..1 ड्राइवर एक एक पत्रकार भी मरा..लेकिन ना मोदी जी के मुंह से थूक निकला..ना शाह जी ने कुछ कहा..ऐसा लगा जैसे देश के इन आदरणीय नेताओं ने राजनीति से सन्यास ले लिया हो..वानप्रस्थ पर निकल गए हों..
बीजेपी के लोग बंगाल हिंसा का फेक वीडियो दिखा दिखाकर चिल्ला रहे थे..बोल रहे थे..चीख रहे थे..चिल्ला रहे थे..लेकिन लखीमपुर में उनके अपने गृह राज्य मंत्री के भड़कान पर उसके बेटे ने जो नरसंहार किया या कराया उस पर चुप हैं..किसानों की मौत पर ना बोलते तो ना बोलते..किसान दुश्मन खेमे वाले सही..लेकिन अपने कार्यकर्ताओं की मौत पर तो बोल सकते थे..कह सकते थे हाय हाय..यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं को मार दिया गया..
फेक या बगैर फैक वडियो जारी करते..गोदी मीडिया के ही पत्रकार से ही मरने की एक्टिंग करने की रिस्वेस्ट करके फेक वीडियो बना लेते..लेकिन कुछ नहीं..उल्टा जिस मंत्री के भड़काने से लखीमपुर में इतना बडा़ कांड हुआ..उस मंत्री का इस्तीफा तक तो लिया नहीं गया..इसे कहते हैं अवसर वादिता..इसे कहते हैं..सलेक्टिव राजनीति..ये राजनीति देश के लिए खतरा है..देश की छवि इससे खराब होती है..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.