किसानों ने बंद किया चिल्ला बॉर्डर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुद्दे को हल करने के लिए समिति गठित करे सरकार
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है. दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंघु और टीकरी बॉर्डर के साथ दिल्ली-यूपी गेट पर हजारों किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने नोएडा-दिल्ली को जोड़ने वाले लिंक रोड (चिल्ला बॉर्डर) को बंद कर दिया है, जिससे वाहन जहां के तहां खड़े हैं.
सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कानून-व्यवस्था के मामले में कोई मिसाल नहीं दी जा सकती है. वहीं, सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र और पंजाब-हरियाणा की राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई कल होगी. लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने ये अर्जी लगाई थी. उनका कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है. प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की अनुमति दी है. अदालत ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि वो इस मुद्दे को हल करने के लिए भारत में किसान यूनियनों के प्रतिनिधि, सरकार और अन्य हितधारकों सहित एक समिति गठित करें. ये जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा और सरकार के जरिए ये सुलझता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
इधर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कई खापों ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. ये खापें 17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होंगी. इसकी जानकारी अखिल खाप परिषद के सचिव सुभाष बालियान ने दी है. वहीं, खबर आ रही है कि कुंडली बॉर्डर पर बुधवार को भी एक धरनारत किसान की मौत हो गई है. बढ़ती ठंड और हृदयाघात से पटियाला के भातसो गांव निवासी 62 वर्षीय किसान पाला सिंह की मौत हो गई है. अब तक कुल 21 किसानों की मौत हो चुकी है.