‘जमींदार” हो गए मशहूर शायर राहत इंदौरी, कभी कहा था कि ”ऐ मौत तूने मुझे . . . .
दिल में हिंदुस्तान और शायरी में इंसानियत लिए राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया. आज सुबह ही उन्होंने खुद को कोरोना होने की खबर ट्विटर पर दी थी. 70 साल की उम्र में उन्होंने इंदौर के अरविंदो अस्पताल में अंतिम सांस ली.

राहत को निमोनिया भी हो गया था और लगातार तीन हार्ट अटैक भी आए. इसके बाद शाम 5 बजे खबर आई कि रूह को राहत देने वाला शायर दुनिया से चला गया. अरबिंदो अस्पताल से ही उनके शव को एंबुलेंस के जरिए कब्रिस्तान लाया गया. वहां नमाज अदा की गई. चुनिंदा लोगों की मौजूदगी में उनकी अंत्येष्टि की गई. इसके साथ ही उनके ट्विटर अकाउंट से अपील की गई कि लोग अपने-अपने घरों से ही राहत साहब की आत्मा की शांति के लिए दुआ करें.
अरविंदो अस्पताल के डायरेक्टर विनोद भंडारी ने बताया कि इलाज के दौरान उनमें कई प्रकार की दिक्कतें सामने आईं, जिनमें पायलेटर निमोनिया, 70 प्रतिशत फेफड़े खराब, कोविड पॉजिटिव, हाइपरटेंशन, डायबिटिक शामिल हैं. वे परसों रात को किसी निजी अस्पताल से आए थे और आज दिल का दौरा पड़ा. एक बड़ा अटैक भी आया और उसके बाद एक बार रिवाइव भी हुए, पर उनका देहांत हो गया.
राहत के इंतकाल के बाद वे अब ‘जमींदार” हो गए हैं. दरअसल, शायरी में कभी कहा था-
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया, इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया।
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो है, ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।
इस शेर में जमींदार होने से उनका आशय था कि जिस जमीन में उन्हें दफनाया जाएगा, वो भले ही दो गज की हो, मगर हमेशा के लिए उनकी मिलकियत (संपत्ति) हो जाएगी.
राहत इंदौरी के बेटे और युवा शायर सतलज राहत ने बताया कि पिता चार महीने से सिर्फ नियमित जांच के लिए ही घर से बाहर निकलते थे. उन्हें चार-पांच दिन से बेचैनी हो रही थी. डॉक्टरों की सलाह पर एक्सरे कराया गया तो निमोनिया की पुष्टि हुई थी. इसके बाद सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिसमें वे कोरोना संक्रमित पाए गए.